नई दिल्ली
कोविड-19 के दौर में कामकाज ठप पड़ने के चलते अदालत ने गुजाराभत्ते के एक मामले मेंं आदेश दिया है कि पत्नी पूर्व में निर्धारित गुजाराभत्ता रकम की बजाय गुजर-बसर चलने लायक राशि ही मंजूर करे। दरअसल पति की तरफ से याचिका दायर कर कहा गया था कि वह एक दुकान पर नौकरी करता है। सवा साल से अधिकांश समय उसकी दुकान बंद रही और मालिक ने तनख्वाह नहीं दी। जिसकी वजह से उसका खुद का गुजारा मुश्किल से चल रहा है। उधर पत्नी की जिद्द है कि उसे उतना ही गुजाराभत्ता चाहिए, जो अदालत ने तय किया है।
कड़कड़डूमा अदालत ने पति की इस याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वर्तमान हालात सबके लिए खराब हैं। इसलिए पत्नी उसी रकम पर सहमति जताए जो उसका पति इन मुश्किल हालात में भी उसे उपलब्ध करा रहा है। अदालत ने इस याचिका पर निर्णय से पहले पति की आर्थिक स्थिति व नौकरी को लेकर एक शपथपत्र भी दिया है। जिसमें उसके हालातों का पता चलता है। इसलिए अदालत ने पत्नी को कहा है कि वह बहरहाल तीन हजार की बजाय पति से 1500 रुपये महीना घर खर्च ले ले। जैसे ही हालात सामान्य होंगे। पति पर्वू की तरह उसे पूरा गुजाराभत्ता देगा। इसके लिए अदालत भी प्रतिबद्ध है कि वह पति को इसके निर्देश देगी। पेश मामले में पति-पत्नी के बीच दो साल पहले अलगाव हो गया था। बहरहाल पत्नी अपने माता-पिता के साथ रहती है। उनके कोई बच्चा नहीं है। अदालत ने तीन हजार रुपये गुजाराभत्ता देने के पूर्व में निर्देश दिए थे।
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