हर 10 में 1 बच्चा बाल श्रम का हो रहा है शिकार, कोरोना का भी हुआ असर 


नई दिल्ली
दुनिया भर में आज 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जा रहा है। इस दिवस को मनाने की शुरुआत अंतरराष्ट्री श्रम संगठन (ILO) ने की है। बाल श्रम खत्म करने की शुरुआत अंतरराष्ट्री श्रम संगठन ने 2002 से की थी। इस दिन को मनाए जाने का उद्देश्य 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को बाल मजदूरी से बचाना है और उन्हें शिक्षित करना है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक बाल श्रम तेजी से बढ़ रहा है। दुनिया भर में 10 में से लगभग 1 बच्चा बाल श्रम का शिकार होता है, जिनमें से कुछ को अवैध व्यापार के माध्यम से खतरनाक काम में लगाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन और यूनिसेफ की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में बाल श्रम बढ़कर 160 मिलियन हो गया है। पिछले चार वर्षों में 8.4 मिलियन बच्चे बाल श्रम का शिकार हुए हैं। 2020 की शुरुआत में मोटे तौर पर 160 मिलियन बच्चों को बाल श्रम का शिकार होना पड़ा था, जिसमें 9 मिलियन बच्चे कोरोना महामारी की वजह से इसकी चेपट में आ गए हैं। 

 यूनिसेफ ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा है कि बाल श्रम को खत्म करने की कोशिश 20 वर्षों में पहली बार महामारी की वजह से रुकी हुई है। 2000 और 2016 के बीच बाल श्रम में 94 मिलियन की गिरावट देखी गई थी। लेकिन बीते 4 सालों में इसमें काफी बढ़ोतरी देखी गई है। सशस्त्र संघर्ष से प्रभावित देशों में खतरनाक काम की घटना वैश्विक औसत से 50% अधिक है। 30 मिलियन बच्चे अपने जन्म के देश से बाहर रहते हैं, जिससे उनके यौन शोषण और अन्य कार्यों के लिए तस्करी किए जाने का खतरा बढ़ जाता है। यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक हेनरीटा फोर ने एक बयान में कहा, ''हम बाल श्रम के खिलाफ लड़ाई को जमीनी स्तर पर खोते जा रहे हैं और पिछले साल ने उस लड़ाई को और भी कमजोर कर दिया है। अब कोरोना लॉकडाउन के दूसरे वर्ष में, स्कूल बंद होने, आर्थिक व्यवधान, राष्ट्रीय बजट खत्म होना जैसे कई कारणों की वजह से परिवार बच्चों को काम पर लगाने के लिए मजबूर हैं।'' 

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन और यूनिसेफ के अनुसार, कोविड-19 संकट के परिणामस्वरूप लाखों बच्चों को बाल श्रम में जाने का खतरा बन गया है। कोरोना वायरस के कारण गरीबी में वृद्धि हो सकती है और इसलिए बाल श्रम में वृद्धि हो सकती है क्योंकि परिवार जीवित रहने के लिए हर उपलब्ध साधन का उपयोग करते हैं। कुछ रिसर्च से पता चलता है कि गरीबी में एक प्रतिशत की बढ़ोतरी से कुछ देशों में बाल श्रम में कम से कम 0.7 प्रतिशत की वृद्धि होती है। 

The Naradmuni Desk

The Naradmuni Desk

The Naradmuni-Credible source of investigative news stories from Central India.