तम्बाकू उपभोग करने वाले लोगों में कोविड-19 का खतरा 15 प्रतिशत अधिक - डॉ .सोनल


दुर्ग
राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत आज विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा इस बार की थीम कोमिट टू क्वीट जिसका अर्थ है तम्बाकू छोड?े के लिए प्रतिबद्धताहै। तम्बाकू के हानिकारक प्रभावों को समझाने के लिए एवं आम जनता को जागरूक करने के लिए हर वर्ष पूरे देश में यह दिवस मनाया जाता है। इस बार जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों तथा हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटरों में विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया गया।

इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गंभीर सिंह ठाकुर के मार्गदर्शन में तथा जिला नोडल अधिकारी एनटीसीपी डॉ. आर के खंडेलवाल की अध्यक्षता में अंतर्विभागीय समन्वय स्थापित कर वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में पुलिस विभाग से सीएसपी विवेक शुक्ला, डीएसपी (यातायात) गुरजीत सिंह, कृषि विभाग से सहायक संचालक कृषि श्रीमती सुचित्रा दरबारी, द यूनियन के संभागीय समन्वयक प्रकाश श्रीवास्तव, शिक्षा विभाग एवं  खाद्य एवं औषधी प्रशासन विभाग से अधिकारियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम की शुरूआत में जिला सलाहकार (एनटीसीपी) डॉ. सोनल सिंह ने बताया, हर वर्ष 31 मई को यह दिवस मनाया जाता है ताकि तम्बाकू तथा उससे संबंधित अन्य उत्पादों के उपभोग और हानिकारक प्रभावों को रोका जा सके और लोगों में इसके प्रति जागरूकता लाई जा सके। डॉ. सोनल सिंह ने बताया,  तम्बाकू उपभोग करने वाले लोगों में कोविड-19 का खतरा भी 15 प्रतिशत अधिक होता है क्योंकि कोविड-19 वायरस सबसे पहले फेफड़े को कमजोर करता है। धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के फेफड़़ धूम्रपान न करने वाले व्यक्ति के फेफड़े ज्यादा संक्रमित होते है। तम्बाकू से फेफड़े के रोग, टीबी, क्रोनिक अब्सट्रैक्टिव, पल्मोनरी डिसीस (सीओपीडी), मुंह का कैंसर होने का खतरा सबसे अधिक होता है।

नशा मुक्ति केंद्र सुपेला के डेंटिस्ट डॉ. मुनीष भगत के द्वारा तम्बाकू का सेवन लोगों के स्वास्थ्य पर कितना हानिकारक प्रभाव डालता के बारे में जानकारी दी गयी। डॉ. भगत ने बताया, तम्बाकू में 4,000 से भी ज्यादा रांसायनिक तत्व पाये जाते हैं, जो कि फेफड़े, आंत, हृदय, यकृत को बुरी तरह प्रभावित करता है। उनके द्वारा तम्बाकू के लत को छोड?े के उपायों के बारे में भी बताया गया। नशे की लत को छोड?े के लिए जिला चिकित्सालय दुर्ग तथा सिविल अस्पताल सुपेला, भिलाई में संचालित तम्बाकू मुक्ति केन्द्र में परामर्श के साथ दवाई भी प्रदान किया जाता है।

डॉ. भगत ने बताया, दुनियाभर में तंबाकू और इससे जुड़े उत्पादों की वजह से से न केवल कैंसर होता है। बल्कि हार्ट की बीमारियां, डायबिटीज, क्रॉनिक पल्मोनरी डिजीज और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का भी यह कारण बनता है। कोरोना संक्रमण के दौर में तो तंबाकू उत्पादों का सेवन करने वालों को गंभीर संक्रमण और मौत होने का भी अपेक्षाकृत ज्यादा खतरा है।

तंबाकू के धुएं में 7,000 से ज्यादा तरह के केमिकल होते हैं, जिनमें से 250 तरह के केमिकल कैंसर का कारण बनते हैं। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे- इंडिया (जीएटीएस2) के अनुसार, भारत में 27 करोड़ से अधिक तंबाकू उपयोगकर्ता रहते हैं। हर साल केवल भारत में इससे 12.80 लाख लोगों की मौत होती है। यानी हर दिन लगभग 3500 मौते हुई। तंबाकू के कारण मृत्यु दर पर डब्लूएसओ ग्लोबल रिपोर्ट 2012 के अनुसार, भारत में हुई सभी मौतों (30वर्ष से अधिक आयु के लिए) में से 7 प्रतिशत मौतें तंबाकू के कारण होती है।  हृदय पर सिर्फ एक सिगरेट भी कम से कम 20 मिनट असर डालती है। तंबाकू सेवन छोड?े पर आपके शरीर को ढेर सारे फायदे होते हैं।तंबाकू छोड?े पर 12 घंटे के अंतर ब्लड में खतरना कर गैस कार्बन मोनोआॅक्साइड को स्तर कम होने लगता है, जबकि 48 घंटे के भीतर स्वाद और गंध लेने की क्षमता में काफी सुधार होने लगता है।तंबाकू छोड?े के 2 हफ्ते से लेकर 3 महीने के अंदर ब्लड सकुर्लेशन में बहुत सुधार होने लगता है। फेफड़ों के कार्य करने की क्षमता बहुत अच्छी होने लगती है और हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है।

The Naradmuni Desk

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