नई दिल्ली
कोरोना संकट के दौर में कई बार राज्य और केंद्र के बीच विवाद देखने को मिला है। अब कोरोना टीका बर्बाद होने के आंकड़ों को लेकर झारखंड और केंद्र सरकार आमने-सामने हैं। जहां केंद्र सरकार की तरफ से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि झारखंड में मई महीने में सर्वाधिक 33.95 फीसदी वैक्सीन की बर्बादी हुई है। वहीं राज्य सरकार के आंकड़े कुछ अलग हैं।
केंद्र की तरफ से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि केरल और पश्चिम बंगाल में मई माह में कोविड-19 रोधी टीकों की बिल्कुल भी बर्बादी नहीं हुई तथा दोनों राज्यों में टीकों की क्रमश: 1.10 लाख तथा 1.61 लाख खुराकें बचाई गईं। वहीं सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, कोविड रोधी टीकों की सबसे ज्यादा 33.95 फीसदी बर्बादी झारखंड में हुई। वहीं झारखंड सरकार का कहना है कि यह आंकड़ा महज 4.65% ही है। झारखंड सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 26 मई तक राज्य में वैक्सीन की क्षति 4.5 प्रतिशत के करीब थी, जो घटकर 1.5 प्रतिशत से भी कम हो गई है।
पहले भी हुआ था विवाद: इससे पहले मई महीने में जारी रिपोर्ट पर भी विवाद हुआ था। उस समय रिपोर्ट में कहा गया था कि झारखंड में 37.3 फीसदी वैक्सीन बर्बाद हुई है। जिसके बाद झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने ट्वीट कर कहा था कि इन आंकडों से देश को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा था कि झूठ फरेब और जुमलेबाजी के सहारे केंद्र सरकार झारखंड को बदनाम कर रही है।
केंद्र की तरफ से जारी रिपोर्ट के बाद प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी की तरफ से राज्य की जेएमएम और कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोला गया था। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा था कि केंद्र सरकार की तरफ से दी जा रही जीवन रक्षक कोरोना वैक्सीन की बर्बादी के मामले में झारखंड पूरे देश में पहले स्थान पर है।
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