माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंची बस्तर गर्ल नैना सिंह धाकड़


रायपुर
जान जोखिम में डाल बस्तर की नैना सिंह धाकड़ ने एवेरेस्ट की चोटी फतह की है. वही चोटिल नैना को रेस्क्यू कर पर्वतारोही याशी जैन ने खेल भावना का प्रदर्शन किया है। नैना धाकड़ की इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने बधाई दी है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर की पर्वतारोही नैना सिंह धाकड़ द्वारा विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह करने पर उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री बघेल ने नैना के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा है  की नैना ने अपने दृढ़ संकल्प,  इच्छाशक्ति तथा अदम्य साहस से विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी पर विजय प्राप्त कर अपनी इस उपलब्धि से छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित किया है।

स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने ट्वीट कर लिखा कि आज छत्तीसगढ़ की बेटी नैना सिंह धाकड़ ने माउंट एवरेस्ट  की चोटी फतह कर राज्य के नाम को कई गुना और गौरवान्वित कर दिया है. दुनिया के सबसे उच्चतम शिखर पर कदम रखने वाली राज्य की पहली महिला पर्वतारोही के खिताब के लिए उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं।

राज्यपाल सुअनुसुईया उइके ने छत्तीसगढ़ की पर्वतारोही सुनैना सिंह धाकड़ को माउंट एवरेस्ट की चोटी फतह करने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी है। राज्यपाल ने कहा कि सुनैना ने अपने दृढ़ संकल्प, इच्छाशक्ति तथा अदम्य साहस से विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी पर विजय प्राप्त की है। उनकी उपलब्धि पर पूरे छत्तीसगढ़ को गर्व है। यह हमारे महिला सशक्तिकरण की परिचायक है जो हमारी बेटियां इतनी बड़ी उपलब्धियां हासिल कर रही हैं और छत्तीसगढ़ का नाम पूरा विश्व में ऊंचा कर रही हैं। मैं उनके माता-पिता को भी बधाई एवं शुभकामनाएं देती हूं। साथ ही मैं सुनैना के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूं।

छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने बस्तर की बेटी नैना सिंह धाकड़ के दुनिया के सबसे उच्च शिखर पर कदम रखने वाली छग की पहली महिला पर्वतारोही के खिताब के लिए बधाई, शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, यह राज्य के लिये गौरव का विषय है, इससे छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय-अतंर्राष्ट्रीय स्तर पर एक नयी पहचान मिली है।

खबर काठमांडू नेपाल से है, हम छत्तीसगढि?ा सबले बढि?ा कहावत तब चरितार्थ हो गई जब नेपाल में हमारी प्रदेश की जगदलपुर की पर्वतारोही नैना धाकड़ माउंट एवरेस्ट फतह करने के प्रयास में अत्यधिक थकान के कारण बीमार हो गई थीं और जैसे ही पर्वतारोही याशी जैन को यह पता चला तो बिना समय खोये वो पर्वतारोही नैना की सकुशल वापसी में जुट गईं । ज्ञातव्य है कि, याशी जैन अपने दो प्रयासों के बावजूद माउंट एवरेस्ट पर फतह नहीं कर पाई थी और दोनों बार माउंट एवरेस्ट के टॉप से कुछ ही दूरी से खराब मौसम के कारण लौटना पडा था। और बेस कैम्प से भी कई मुश्किलों के बावजूद सुरक्षित काठमांडू आ गई थी, और शीघ्र ही रायगढ़ छत्तीसगढ़ लौटने वाली थी। जबकि पर्वतारोही नैना धाकड अपने एक्सपिडिसन को पूरा करने की तैयारी कर रही थी और याशी काठमांडू से लगातार पर्वतारोही नैना के एक्सपीडिशन पर नजर रख रही थी । 01/06/21 की सुबह नैना का एक्सपिडिसन पूर्ण हो जाना था और टॉप पर पहुंच जाना था, परंतु दोपहर तक जब कोई न्यूज नहीं आई तो याशी चिंतित हो गई और नैना की कंपनी से लगातार संपर्क की कोशिश करने लगी । बड़ी मुश्किल से लगभग दोपहर 2 बजे याशी को पता चला कि नैना अत्यधिक थकान के कारण बीमार हो गई है और माउंट एवरेस्ट से नीचे आने की हिम्मत नहीं कर कर पा रहीं हैं। इस तरह याशी ने सच्ची  खेल भावना दिखाई और साबित किया कि हममें आपसी प्रतिद्वंदिता कितनी भी हो पर छत्तीसगढि?ा सबले बढि?ा है और हम एक दूसरे की मदद को हमेशा तत्पर रहते हैं ।

The Naradmuni Desk

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