वाशिंगटन
अमेरिका में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए विदेशी नागरिकों को आकर्षित करने की योजना पर काम शुरू हो चुका है। इसके लिए प्रभावशाली सांसदों के द्विदलीय समूह ने एक ऐसा विधेयक दोबारा पेश करने की घोषणा की है जो देश के ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में काम करने के लिए विदेशी डॉक्टरों को आकर्षित करेगा। इसका लाभ भारतीयों को मिलना तय है।
सीनेट (उच्च सदन) की स्वास्थ्य, शिक्षा, श्रम एवं पेंशन समिति के सदस्य सीनेटर जैकी रोजेन समेत अनेक सांसदों ने इस विधेयक को दोबारा पेश किया है। इसी तरह का विधेयक सांसद ब्रैड श्नाइडर ने प्रतिनिधि सभा (निचले सदन) में पेश किया। यदि यह विधेयक अमेरिका के दोनों सदनों में पारित होने के बाद राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित कर दिया जाता है तो उन हजारों भारतीय डॉक्टरों को सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा जो पहले से अमेरिका में रह रहे हैं।
इसके अलावा ऐसे डॉक्टर जो काम के लिए अमेरिका जाना चाहते हैं उन्हें भी इस कानून का प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। ‘कोनराड स्टेट 30 एंड फिजिशियन एक्सिस रिअथॉराइजेशन एक्ट’ को फिर से पेश करने से ऐसे विदेशी चिकित्सक जिनकी रेजिडेंसी प्रशिक्षण कार्यक्रम की अवधि पूरी हो चुकी है वे भी अमेरिका में रहकर उन क्षेत्रों में सेवाएं दें सकेंगे जहां डॉक्टरों की कमी है।
वर्तमान में, अन्य देशों के जो चिकित्सक अमेरिका में ‘जे-1’ वीजा के जरिए कार्यरत हैं उन्हें रेजिडेंसी प्रशिक्षण कार्यक्रम की अवधि खत्म होने के बाद दो साल के लिए स्वदेश लौटना होता है। उसी के बाद वे वीजा या ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन दे सकते हैं। हालांकि नए विधेयक के तहत विदेशी डॉक्टरों को स्वदेश नहीं लौटना होगा और वे तीन साल तक ऐसे समुदाय में सेवा दे सकते हैं जहां डॉक्टरों की कमी है।
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जैक सुलिवन ने कहा है कि देश में लोकतांत्रिक सुधार और मताधिकारों की मूल भावना राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है। पदभार संभालने के बाद राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रथम विदेश दौरे से पहले सुलिवन ने यह बात कही।
बाइडन इस दौरे में ब्रिटेन, ब्रुसेल्स और जिनेवा जाएंगे। वह जी-7 के शिखर सम्मेलन में भी शरीक होंगे। सुलिवन ने कहा, हमारी प्रतिस्पर्धा निरंकुश शासनों के मॉडलों के साथ है। हम दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि अमेरिकी लोकतंत्र और स्पष्ट लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं कार्य करने में सक्षम हैं और लोगों की इच्छानुसार प्रभावी परिणाम देने में भी समक्ष हैं।
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