भोपाल
प्रदेश के किसानों को दी जा रही रियायती बिजली और घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली देने से बिजली कंपनियों पर बढ़े आर्थिक बोझ को कम करने के लिए राज्य सरकार 25 हजार 50 करोड़ रुपए की सब्सिडी बिजली कंपनियों को देगी। इसकी मंजूरी आज कैबिनेट में दी जा रही है।
वहीं धान मिलिंग के लिए मिलर्स को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि में भी इजाफा किया जाएगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अस्थायी पदों को निरंतर रखने के प्रस्ताव पर भी चर्चा के बाद अनुसमर्थन किया जाएगा। विद्युत नियामक आयोग की दरों से कम दरों पर बिजली देने से बिजली कंपनियों को 9773 करोड़ 58 लाख रुपए का अनुदान सरकार को देना है। इस योजना को वर्ष 20-21 में भी निरंतर जारी रखा जाना है। वहीं घरेलु उपभोक्ताओं को डेढ़ सौ रुपए मासिक खपत पर इंदिरा गृह ज्योति योजना का लाभ दिया जा रहा है। घरेलू उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली देने पर बिजली कंपनियों को 4945.20 करोड़ का अनुदान दिया जाना है। इस तरह कुल 24 हजार 50 करोड़ रुपए की सब्सिडी इन बिजली कंपनियों को दी जाना है।
एक हेक्टेयर जमीन वाले अनुसूचित जाति, जनजाति के गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले पांच हार्सपावर तक के कनेक्शन वाले किसानों को नि:शुल्क बिजली दी जा रही है। इस पर 4323 करोड़ 41 लाख रुपए का खर्च आ रहा है। इंदिरा किसान योजना में दर्स हार्सपावर तक की क्षमता वाले मीटरयुक्त स्थाई और अस्थायी कनेक्शनों पर भी सब्सिडी दी जाती है। इस पर 372 करोड़ 4 लाख रुपए का वित्तीय भार आ रहा है। इसी तरह डीटीआर मीटर के कनेक्शन और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम के तहत पावरलूम सेक्टर को भी सब्सिडी दी जा रही है। नगरीय विकास विभाग की सड़क बत्ती कनेक्शनों के लिए भी बिजली की सब्सिडी दी जाना है। इसकी मंजूरी आज कैबिनेट से दी जा रही है।
प्रदेश में 32 लाख टन धान की मिलिंग कराने मिलर्स सामने नहीं आ रहे है। धान मिलिंग के लिए प्रति क्विंटल दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि बढ़ाकर डेढ़ सौ रुपए करने के प्रस्ताव पर अथवा प्रति क्विंटल धान से 67 किलो की जगह 55 किलो चावल तैयार कर देने के प्रस्ताव पर भी चर्चा की जा रही है। प्रदेश के कर्मचारियों को पिछले साल चार हजार रुपए तक त्यौहार अग्रिम देने का निर्णय लिया गया था। इसका अनुसमर्थन भी कैबिनेट में किया जा रहा है। पथ विक्रेताओं को सहायता देने के लिए खर्च की गई साठ करोड़ की राशि की मंजूरी का अनुसमर्थन भी कैबिनेट से किया जा रहा है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में अस्थायी पदों को आगे वर्ष 2026 तक निरंतर रखने के प्रस्ताव को भी मंजूरी देने चर्चा की गई।
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