कोवैक्‍सीन की तुलना में कोविशील्‍ड ज्यादा बेहतर, शोध में हुआ बड़ा खुलासा


नई दिल्ली
फंगस और टीके को लेकर देश में पहली बार दो अलग-अलग अध्ययन सामने आए हैं। इनमें से 12 राज्यों के 19 अस्पतालों में हुए एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि जहां कोविशील्ड टीका लेने वालों में कोवाक्सिन लेने वालों की तुलना में एंटीबॉडी का स्तर अधिक मिला।

ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों पर किए गए एक अन्य शोध में कहा गया है कि स्टेरॉइड के साथ-साथ मधुमेह की दवाएं न लेने इसका खतरा बढ़ा। ब्लैक फंगस देश के 26 राज्यों में फैल चुका है। गौर करने वाली बात है कि देश में फंगस पिछले साल ही फैल चुका था।  

इस शोध में दोनों वैक्सीन देकर देखा गया कि कौन ज्यादा बेहतर है. शोध में यह पाया गया कि जिन्होंने सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्‍ड लगायी है उनमें भारत बायोटेक की कोवैक्‍सीन के मुकाबले ज्यादा एंटीबॉडी तैयार हो रही है.

इस शोध में 515 स्वास्थ्य कर्मचारियों को चुना गया था. इनमें से 456 को कोविशील्ड दिया गया था जबकि 96 लोगों को कोवैक्सीन दी गयी थी. शोध में दोनों ही वैक्सीन को बेहतरीन पाया गया लेकिन सेरोपॉजिटिविटी रेट और मीडियन एंटी-स्पाइक एंटीबॉडी कोविशील्ड में अधिक पाये गये हैं.

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने भी कौन सी वैक्सीन बेहतर है इस सवाल को हल करने की कोशिश की थी. ICMR के प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव ने कोवैक्‍सीन और कोविशील्‍ड द्वारा बनायी जाने वाली एंटीबॉडी (Antibody) को लेकर खुलासा किया था जिसमें उन्होंने यह जानकारी दी कि कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद कोवैक्सीन की पहली डोज के मुकाबले ज्यादा एंटीबॉडी बनती है.

कौन सी वैक्सीन बेहतर है इसे लेकर लंबे समय से शोध चल रहा है. अब भी वैक्सीन को लेकर तरह- तरह के सवाल हैं. वैज्ञानिक, शोधकर्ता और डॉक्टर्स लगातार उन सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश कर रहे हैं.

 

The Naradmuni Desk

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