अखिलेश से नाराजगी या कोई और वजह, कैसे ढह गया सपा का सबसे मजबूत किला


 नई दिल्ली
 
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को अभी चार महीने भी नहीं बीते हैं। 10 मार्च 2022 को आए इस चुनाव के नतीजों में बाजी भले ही भाजपा ने मारी हो, लेकिन आजमगढ़ में परचम सपा का लहराया था। 10 विधानसभा सीटों वाले इस जिले की हर सीट पर सपा प्रत्याशी की जीत हुई थी। लेकिन लोकसभा के उपचुनाव में यहां सपा को मायूसी हाथ लगी। इसके पीछे आखिर क्या वजह रही होगी कि सपा के सबसे मजबूत किले में भाजपा ने सेंध लगा दी।

यादव बनाम यादव ने बढ़ाई मुश्किल
उपचुनाव में एक तरफ सपा ने धर्मेंद्र यादव को मैदान उतारा तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को टिकट दिया। इस फैक्ट के बावजूद कि निरहू 2019 के चुनाव में हार चुके थे, इसके बावजूद यादव फैक्टर के चलते भाजपा ने उन्हें दोबारा मौका दिया। हालांकि पिछली बार भी निरहुआ के सामने अखिलेश यादव थे, लेकिन इस बार उनके सामने थे धर्मेंद्र यादव। धर्मेंद्र का कद और ऑरा इस लायक नहीं था, जिससे निरहू की राह मुश्किल हो पाती।

गुड्डू जमाली फैक्टर भी नहीं कर सकते इग्नोर
इस बार बसपा के वोटरों का कितना वोट भाजपा को ट्रांसफर हुआ इस बारे में तो दावा नहीं किया जा सकता। लेकिन बसपा प्रत्याशी ने कहीं न कहीं भाजपा की राह आसान कर दी। असल में सपा का कोर वोट बैंक है यादव और मुसलमान। लेकिन बसपा द्वारा मुस्लिम प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को मैदान में उतार देने से मुस्लिम वोट इधर शिफ्ट हो गए। ऐसे में अनुमान है कि समाजवादी पार्टी को केवल यादव वोट मिले। यह भी एक बड़ी वजह रही कि दिनेश लाल यादव को आसानी से जीत मिल गई।

अखिलेश से नाराजगी?
विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव मैनपुरी के करहल विधानसभा क्षेत्र से मैदान में थे। यहां से उन्होंने जीत भी हासिल की। विधानसभा चुनाव में जीतने के बाद अखिलेश ने आजमगढ़ सीट से सांसदी छोड़ दी। उन्होंने तर्क दिया कि वह विपक्ष में बैठकर अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी करेंगे। लेकिन लगता है कि आजमगढ़ में अखिलेश के समर्थकों और कोर वोटर्स को उनका यह फैसला रास नहीं आया।

 

The Naradmuni Desk

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