अतिवर्षा एवं बाढ़ की स्थिति से निपटने की अभी से प्रभावी तैयारी सुनिश्चित की जाये - कलेक्टर


मुरैना
आगामी वर्षा ऋतु को दृष्टिगत रखते हुये अतिवर्षा एवं बाढ़ की स्थिति से निपटने की अभी से प्रभावी तैयारी सुनिश्चित की जाये। कोटा बैराज से छोड़े जाने वाले पानी की माॅनीटरिंग निरंतर जारी रहे। तहसील एवं जिला मुख्यालय पर स्थापित कंट्राॅल रूम 24 घंटे प्रभावी रहे। बाढ़ में लगने वाली सामग्री नाव, वोट, रस्सा और टाॅर्च आदि की लिस्टिंग की जाये। आवश्यक होने पर डिमाण्ड नोट भेंजे। बजट का अभाव हो तो शासन को तत्काल प्रस्ताव भेजें।
    
यह निर्देश कलेक्टर बी. कार्तिकेयन ने सोमवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित अतिवर्षा एवं बाढ़ की रोकथाम संबंधी बैठक में दिये। बैठक में बताया गया कि कोटा बैराज या अधिक वर्षा होने से मुरैना जिले के कई गांव नगरीय निकायों के वार्डो में बाढ़ जैसे हालात निर्मित हो जाते है। बैठक में बताया गया कि जिले के 52 गांव ऐसे है, जो चंबल नदी के उफान से टापू की स्थिति में बन जाते है।     
    
कलेक्टर बी. कार्तिकेयन ने कहा है कि इन गांवों से ही पुख्ता बंदोबस्त किये जाये। पूर्व से ही पुर्नवास केन्द्रों की व्यवस्था, भोजन व्यवस्था, चिकित्सा सुविधा सहित अन्य आवश्यक व्यवस्थायें सुनिश्चित की जाये। अपने पूर्व अनुभवों के साथ पुख्ता प्लानिंग अभी से कर लें, ताकि मौके पर अफरा-तफरी न हो सकेे। उन्होंने एसडीएम, एसडीओपी, होमगार्ड, राजस्व अधिकारियों की अनुविभागवार वीजिट करके संपूर्ण व्यवस्थाओं को देख लें। प्रशिक्षित तैराकों की सूची वन विभाग, होमगार्ड, पुलिस विभाग की मोटर वोट नावों को अलग-अलग अनुविभाग मुख्यालयों, थाने पर रखें। प्रत्येक नाव पर अमला तैनात करें। उन्होंने निर्माण विभाग के अधिकारियों से कहा कि गांव के ऐसे रपटे, पुल-पुलिया जहंा पानी भर जाता है। वहां साइनिंग बोर्ड लगाकर चेतावनी दी जाये। बेरिकेट लगाकर यातायात को रोका जाये। विद्युत विभाग सभी लाइट पोलो को देख लें, उनमें कहीं करंट तो नहीं है। बैठक में पुलिस अधीक्षक ललित शाक्यवार, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रोशन कुमार सिंह, अपर कलेक्टर नरोत्तम भार्गव, नगर निगम आयुक्त अमरसत्य गुप्ता सहित सभी डिप्टी कलेक्टर्स, एसडीएम, अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।      
    
कलेक्टर ने कहा कि कोटा बैराज से छोड़े जाने वाले पानी की माॅनीटरिंग निरंतर जारी रहे और यह भी सुनिश्चित किया जाये कि जितना पानी छोड़ा जाये उस पानी से चम्बल नदी के आसपास कोन-कोन से गांव टापू बन जाते है। इस प्रकार का सूचना तंत्र मजबूत होना चाहिये। बाढ़ के दौरान आवश्यक सामग्री, नाव, बोट, रस्सा, टोर्च आदि की सूची बनाकर लिस्टिंग करें, आवश्यक होने पर डिमाण्ड नोट भेजें। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर डिजास्टर मैनेजमेंट बना हुआ है, उसी तर्ज पर तहसील स्तर पर भी डिजास्टर मैनेजमेंट बनायें। उन्होंने समस्त एसडीएम को निर्देश दिये है कि उनके अंतर्गत एक या दो तहसील आती है, वहां भी डिजास्टर मैनेजमेंट बनना चाहिये। कलेक्टर ने कहा कि राहत कैम्प इस प्रकार होना चाहिये कि सोशल डिस्टेसिंग का पालन पूरी तरह हो। इसके लिये नजदीकी शासकीय भवन, स्कूल, पंचायत भवन, आंगनवाड़ी या स्थानीय टेंट से वाटरपू्रफ के प्रबंध अभी से चिन्हित करें। उन्होंने कहा कि अगर ऐसी कोई आंगनवाड़ी केंद्र भवन है जिसकी छत से पानी टपकता हो तो उसकी भी रिपेयरिंग करा सकते है जो राहत कैम्प में सहायता बन सके। उन्होंने कहा कि मोटरबोट मैकेनिक, गोताखोर की लिस्टिंग और मोबाइल भी रखना सुनिश्चित करें। संबंधित अधिकारियों के वाहन में पीए सिस्टम (लाउडस्पीकर) होना चाहिये।
    
कलेक्टर ने कहा कि जिले स्तर पर, तहसील स्तर पर कंट्राॅल रूम व कर्मचारियों का चयन कर सूची तैयार की जावे। जिससे जिले में बाढ़ के हालात निर्मित होने पर कंट्राॅल रूम तत्काल कार्य प्रारंभ कर सकें। उन्होंने कहा कि पगारा, कुतवार, पिलुआ डेम में कहीं कोई रिपयेरिंग कार्य हो तो वर्षा से पूर्व करा लिया जावे। इसके साथ ही अधिकाारियों के वाहन मरम्मत योग्य है तो रिपेयरिंग कराई जावे। डूब वाले क्षेत्रों में विद्युत खंभे पर बांस लगाकर झण्डी लगाई जावे। जिससे विद्युत पोल की पहचान डूब के समय आसानी हो सके और जिसके कारण नाव या व्यक्ति दुर्घटनाग्रस्त न हो सके। कलेक्टर ने नगर निगम कमिश्नर एवं नगरीय निकायों के सीएमओ को निर्देश दिये कि नगरीय क्षेत्रों के वार्डों में नाली एवं नालों की सफाई कार्य बरसात के पूर्व ही करा लिया जाना सुनिश्चित करें।  

 

The Naradmuni Desk

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