नई दिल्ली
केंद्र सरकार और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के बीच जारी तकरार एक बार फिर गरमा गई। दरअसल हाल ही में फेसबुक और इंस्टाग्राम ने प्रेस इंफरमेशन ब्यूरो (PIB) की एक पोस्ट पर कार्रवाई करते हुए उसको हटा दिया था। इसपर सरकार ने दखल दिया तो फेसबुक और इंस्टाग्राम को इसे दोबारा प्रकाशित करना पड़ा। दरअसल सोशल मीडिया से जिस पोस्ट को हटाया गया था उसमें पीआईबी ने कोरोना वैक्सीन से मौत से जुड़े तथ्यों की जांच की थी। 'कंटेंट को गलती से ब्लॉक कर दिया था', लेकिन बाद में रीस्टोर कर दिया था। पीआईबी फैक्ट चेक के हैंडल से बीते 25 मई को फेसबुक और इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर की गई। इसमें सरकारी संस्था ने फ्रांस के एक नोबल पुरस्कार विजेता लुक मॉन्टेग्नियर के हवाले से वैक्सीन को लेकर किए जा रहे दावे का खंडन किया गया था। इस तरह का झूठा दावा करने वाले वायरल पोस्ट में कहा जा रहा था कि लुक मॉन्टेग्नियर के अनुसार कोविड-19 की वैक्सीन लगवाने वाले व्यक्ति की दो सालों में मौत हो सकती है।
पीआईबी ने अपनी पोस्ट में कहा था कि, 'फ्रांस के नोबल पुरस्कार विजेता के हवाले से कोविड-19 को लेकर एक तस्वीर कथित रूप से सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही है। इस तस्वीर में किया जा रहा दावा झूठा है। कोविड-19 वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। इस तस्वीर को आगे शेयर ना करें।' इस पोस्ट के जारी होने के बाद ही दोनों प्लेटफॉर्म्स ने बगैर किसी स्पष्टीकरण के इन पोस्ट को हटा दिया।
फेसबुक ने इसके बाद एक चेतावनी भी जारी कर दी, जिसमें कहा गया था कि 'झूठी खबरें' शेयर करने के कारण PIB के पेज को अनपब्लिश किया जा सकता है। सोशल मीडिया की इस कार्रवाई के बाद पीआईबी ने आईटी मंत्रालय का दरवाजा खटखटाया। बाद में मंत्रालय ने ईमेल के जरिए फेसबुक और इंस्टाग्राम से संपर्क साधा और दोनों प्लेटफॉर्म्स पर पोस्ट को दोबारा किया गया। इस घटना के बाद से आईटी मंत्रालय ने फैक्ट चेकिंग प्रक्रिया को लेकर चिंता जाहिर की है। रिपोर्ट के मुताबिक, संभावना जताई जा रही है कि मंत्रालय सोशल मीडया कंपनियों को फैक्ट चेकिंग प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और नियुक्त किए गए फैक्ट चेकर्स की जानकारी साझा करने के लिए पत्र लिख सकता है। हालांकि सरकार के हस्तक्षेप के बाद पोस्ट दोबारा पब्लिश किया गया तो फेसबुक के प्रवक्ता ने कहा कि, 'कंटेंट को गलती से ब्लॉक कर दिया था', लेकिन बाद में रीस्टोर कर दिया है।
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