प्रकृति की सेवा और शुद्धि के लिए एक संत ने लिया सवा 11 लाख पेड़ लगवाने का संकल्प


छतरपुर
संत समाज को सुमार्ग पर ले जाते हैं। इसी उक्ती को सार्थक करते हुए बुंदेलखंड के प्रख्यात धार्मिक स्थल बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर श्री धीरेन्द्र कृष्णा शास्त्री ने प्रकृति की सेवा और शुद्धि के लिए विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक अनूठा संकल्प लिया है। इस संकल्प के अनुसार धाम के श्रद्धालुओं और शिष्य मंडल के द्वारा समूचे बुंदेलखंड में सवा 11 लाख पौधे रोपित करते हुए उनकी देखरेख की जाएगी।

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर बागेश्वर धाम परिसर में संत धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के द्वारा पीपल का पौधा रोपित करते हुए सवा 11 लाख वट रोपण महायज्ञ का विधि विधान से शुभारंभ किया गया। शुभारंभ के अवसर पर बागेश्वर धाम से जुड़े श्रद्धालुओं ने लगभग दो हजार पौधे रोपित एवं दान करने के संकल्प पत्र भरे। इस अवसर पर संत के करकमलों से कई श्रद्धालुाओं को पौधे भेंट किए गए।

महामारी ने चेताया, प्रकृति की सेवा जरूरी
अभियान का शुभारंभ करते हुए संत श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि आज समूची धरती मानव समाज के अत्यधिक लोभ एवं अहंकार के कारण भीषण परिस्थितियों से जूझ रही है। ईश्वर भक्ति और प्रकृति सेवा से विमुख मानव समाज ने अपनी महत्वाकांक्षाओं  के कारण प्रकृति का अनैतिक दोहन किया है जिसके फलस्वरूप महामारी, तूफान, भूकंप, भीषण गर्मी, अत्यधिक सर्दी, अतिवृष्टि और अकाल जैसी आपदाएं सामान्य हो गई हैं। यह समय मानव के सचेत होने का समय है। हमें अपनी जड़ों की तरफ लौटना होगा, ऋषि मुनियों की इस पावन, पवित्र भूमि से ही प्रकृति के प्रति हमारी सेवा का महाअभियान प्रारंभ करना होगा। हम सभी लोग यदि ठान लें तो फिर से प्रकृति को शुद्ध और समृद्ध बना सकते हैं। प्रकृति को पवित्र और वायुमण्डल को शुद्ध करने के लिए हमें इसका खोया हुआ हरित वैभव लौटाना पड़ेगा। यह तभी संभव है जब हम पौधारोपण कर प्रकृति को फिर से हरा-भरा करें।

महाराज श्री ने कहा कि इस यज्ञ में सहभागिता करने के लिए दो तरह से हर व्यक्ति यजमान बन सकता है। प्रथम यजमान को 5 जून 2021 से 31 दिसम्बर 2022 अर्थात् 2 वर्षाकाल सहित लगभग डेढ़ वर्ष की अवधि में श्री बागेश्वर धाम का स्मरण कर यथाशक्ति पौधों को रोपित करने का संकल्प लेना है। संकल्प पत्र को भरकर इसे धाम के नंबर पर अथवा सीधे कार्यालय में पौधारोपण की तस्वीरों सहित प्रेषित करना है। पौधारोपण के उपरांत डेढ़ वर्ष तक पौधों की देखभाल करें ताकि वे पूर्ण रूप से विकसित करना है।  द्वितीय यजमान ऐसे लोग बनेंगे जो पौधारोपण हेतु जमीन अथवा समय के अभाव में स्वयं पौधारोपण नहीं कर सकते वे पौधों को दान कर सकते हैं। यथाशक्ति पौधों को धाम पर दान करें, संकल्प पत्र में दान किए गए पौधों की जानकारी अंकित कर दूसरों को भी पौधों के दान हेतु प्रेरित करें।

The Naradmuni Desk

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