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ब्रिटेन में फरवरी के बाद से कोरोना वायरस संक्रमण के सर्वाधिक दैनिक मामले सामने आए हैं, जो यह दर्शाता है कि संक्रमण का डेल्टा स्वरूप (वैरिएंट) देश में तेजी से फैल रहा है। देश में संक्रमण के कारण अब तक 1,27,860 लोगों की मौत हो चुकी है।
सरकारी आंकड़ों में बुधवार को बताया गया कि ब्रिटेन में संक्रमण के 7,540 नए मामले सामने आए, जो 26 फरवरी के बाद से सर्वाधिक दैनिक नए मामले हैं। डेल्टा स्वरूप के संक्रमण के कारण पिछले कुछ सप्ताह से ब्रिटेन में दैनिक मामले बढ़ रहे हैं। बता दें कि कोविड मृतकों के मामले में ब्रिटेन दुनिया में पांचवें स्थान पर है।
संक्रमण की बढ़ती संख्या अत्यधिक संक्रामक डेल्टा का परिणाम है जो ब्रिटेन में प्रभावी हो गया है और चार नए मामलों में तीन से अधिक के लिए जिम्मेदार है। सरकार ने खुलासा किया कि इन सबके बीच राहत की बात यह है कि ब्रिटेन में सभी वयस्कों में से आधे को अब कोरोना वायरस के खिलाफ पूरी तरह से टीका लगाया जा चुका है। टीके की दो खुराक नए स्ट्रेन के खिलाफ भी प्रभावी है और यह अधिकांश लोगों को कोविड के साथ बीमार होने या मौत होने से रोकती है।
लगभग छह महीने पहले टीकाकरण शुरू होने के बाद से अब तक कुल 2,64,22,303 लोगों को दूसरी खुराक वितरित की जा चुकी हैं। यह 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी लोगों के 50.2 प्रतिशत के बराबर है। ब्रिटेन में मोटे तौर पर 75.5 प्रतिशत वयस्कों को टीके की पहली खुराक मिल चुकी है।
ब्रिटेन पब्लिक हेल्थ की साप्ताहिक कोविड रिपोर्ट में पाया गया कि ब्रिटेन के हर क्षेत्र और हर आयु वर्ग में 20 वर्ष तक के लोगों में संक्रमण के मामलों में तेजी देखी गई है।
योजना के अनुसार 21 जून को लॉकडाउन को समाप्त करने की अनुमति दी जाएगी या नहीं, इस बारे में मंत्री अभी चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने कहा कि एक 'अच्छा संकेत' था कि अस्पताल में भर्ती होने वालों में टीका लगवा चुके लोगों की संख्या बहुत ही कम है।
स्वास्थ्य मंत्री कह चुके हैं कि सरकार दैनिक मामलों के स्तर पर कड़ी नजर रख रही है, लेकिन जोर देकर कहा कि 'वास्तव में यह मायने रखता है' कि कितने लोग अस्पताल में भर्ती होते हैं और बीमारी से मर जाते हैं और टीकाकरण के बाद इनकी संख्या में कितनी कमी होती है।
ब्रिटेन में वैज्ञानिकों ने सरकार से गुजारिश की है कि 21 जून को लॉकडाउन हटाने की योजना को थोड़ा आगे बढ़ा दिया जाए, क्योंकि कोरोना वायरस महामारी की तीसरी लहर का खतरा है।
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