विश्व में सबसे ज्यादा दूध के उत्पादन व खपत भारत में -डा पाटिल


रायपुर
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, दन्तेवाड़ा द्वारा विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय वेबीनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति डॉ. एस.के. पाटील तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में दाऊ वासुदेव चन्द्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग के कुलपति डॉ. एन.पी. दक्षिणकर, कृषि तकनीकी अनुप्रयोग एवं अनुसंधान संस्थान, जोन-ढ्ढङ्ग, जबलपुर के निदेशक डॉ. एस.आर.के. सिंह, तथा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के निदेशक विस्तार सेवाए डॉ. एस.सी. मुखर्जी उपस्थित थे।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. एस.के. पाटील ने प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज विश्व में सबसे ज्यादा दूध का उत्पादन व खपत भारत देश में होता है जो कि दिखाता है कि हममें कितनी क्षमता है। दूध का उत्पादन एवं खपत के साथ यह भी महत्वपूर्ण है कि प्रति व्यक्ति को दूध की उपलब्धता है कि नही। हमारे यहाँ पशुधन अधिक है साथ ही दूध का उत्पादन भी बहुत है पर मूल्य कम है। वहीं उत्पादन अधिक होने व खपत कम होने की स्थित में समस्या हो सकती है जो कि किसानों एवं छात्रों के लिए एक अच्छा अवसर है इससे वे इंटरप्राईसेस के रूप में काम कर सकते है।

कुलपति डॉ. पाटील ने कहा कि कोराना काल में लोगों का रूझान शाकाहार भोजन की तरफ ज्यादा है। शाकाहार हेतु दूध एक अच्छा माध्यम है जिसे प्रसंस्करण कर बहुत दिनों तक रख जा सकता है जैसे कि घीं को 2-4 साल तक रखा जा सकता है और इसे घर में आसानी से बना सकते है। वर्तमान में ई-मार्केटिंग को बढावा मिला है। अब लोग अपने घर में ही उत्पाद तैयार कर बेच सकते हैं। यह परिवर्तन छात्रों के लिये एक मौका है जिसमें किसानों को जोडकर काम शुरू कर सकते है व किसानों की समस्या कों ध्यान में रखकर कार्यक्रम बनाया जा सकता है। साथ ही छात्रों को इस विषय व दिशा में जमीनी स्तर पर काम करें जिसमें किसान शेयर होल्डर हो जिससे किसानों को मदद मिल सके। कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र, दन्तेवाड़ा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. नारायण साहू ने अतिथियों का परिचय कराया तथा शाब्दिक स्वागत किया। उन्हाने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य डेयरी या दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में स्थिरता, आजीविका और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना तथा दूध को वैश्विक भोजन के रूप में मान्यता देना है। विशिष्ट अतिथि दाऊ वासुदेव चन्द्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग के कुलपति डॉ. एन.पी. दक्षिणकर ने कहा कि दूध पोषक तत्वों की पूर्ति हेतु बडा महत्व रखता है। वर्तमान में कृषि विज्ञान केन्द्रों में कई कार्यक्रम हुए हैं जिसमें एफ.पी.ओ. के माध्यम से दूध उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है साथ ही वर्ष 2024 तक 10000 एफ.पी.ओ. निमार्ण का लक्ष्य रखा गया है। आज के परिपेक्ष में आधे से ज्यादा आबादी कृषि पर निर्भर है जिसमें 86 प्रतिशत लोगों के पास डेढ़ से दो हेक्टेयर से भी कम जमीन उपलब्ध है। वहीं 75 प्रतिशत लोगों की आय 15000 रुपए से भी कम है जो कि एक बडी समस्या है। उन्होने कहा कि यदि हम जैव-विविधता के साथ कार्य करते है तो 75 प्रतिशत में से 7 प्रतिशत किसानों की आमदनी 30000 रुपए तक की हो सकती है। जिसमे पशुधन बहुत बडी भूमिका अदा कर सकती है। कृषि तकनीकी अनुप्रयोग एवं अनुसंधान संस्थान, जोन-ढ्ढङ्ग, जबलपुर के निदेशक डॉ. एस.आर.के. सिंह ने कहा कि कोराना काल में भोजन के पौष्टिक विकलप के रूप में दूध की उपयोगिता को बढा दिया है। सभी किसानों के पास एक-दो गाय, भैंस, बकरी आदि दूधारू जानवर रहते है और यह जानवर ग्रामीण बैंक की तरह होते है जो किसान के आय को दोगुनी करने का एक अच्छा साधन है। निदेशक विस्तार सेवाए डॉ.एस.सी. मुखर्जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि विश्व दुग्ध दिवस का प्ररंभ सन 2001 में किया गया था जिसका उद्देश्य दूध के उत्पादन उनके पोषक तत्व मान व रोजगार के अवसर को बढावा देना था। वर्ष 2021 में हमारे देश में 200 मिलीयन टन दूध उत्पादन हो रहा है और विश्व में प्रथम स्थान रखता है। उद्घाटन सत्र के अन्त में डॉ. अरूण त्रिपाठी ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।

इस एक दिवसीय वेबिनार कार्यक्रम में तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया जिसमें शहीद गुड़ाधुर कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, जगदलपुर के अधिष्ठाता डॉ. एच.सी. नन्दा ने कृषकों की आय दोगुनी करने में दुग्ध उत्पादन की भूमिका विषय पर विस्तृत पावर प्वाइंट प्रस्तुति के माध्यम से किसानों एव छात्रों को जानकारी दी। पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, अंजोरा दुर्ग के अधिष्ठाता डॉ. एस.के. तिवारी दुधारू पशुओं का चिकित्सकीय देखभाल पर जानकरी दी गई , इसी क्रम में संयुक्त संचालक पशुपालन विभाग, बस्तर संभाग डॉ. लक्ष्मी अजगले ने छत्तीसगढ़ शासन द्वारा दुग्ध उत्पादकों हेतु संचालित कल्याणकारी योजनाओं के बारे में प्रतिभागियों को विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी। दाऊ वासुदेव चन्द्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग के अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डॉ. सुधीर उपरीत ने दुग्ध एक सम्पूर्ण आहार-पोषणात्मक मान का विश्लेषण विषय पर उपस्थित समस्त प्रतिभागियों को जानकारी दी। दंतेवाडा जिले के पशु चिकित्सा एवं पशुपालन विभाग के उपसंचालक डॉ. अजमेर सिंह कुशवाहा, ने दुग्ध उद्यमिता से किसानों की आर्थिक सुदृणीकरण विषय पर व्याख्यान दिया। कृषि विज्ञान केन्द्र, कोरिया के विषय वस्तु विशेषज्ञ डॉ. सम्भूति शंकर साहू ने दुग्ध प्रसंस्करण के बारे में जानकारी दी। प्रक्षेत्र प्रबंधक डॉ. भुजेन्द्र कोठारी, ने वर्ष भर हरा चारा उत्पादन की तकनीकी पर प्रकाश डाला। इसी क्रम में कृषक परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें दंतेवाडा जिला के कोसाराजीम बहुउद्देशीय सहकारी समिति, बचेली के बलराम भास्कर तथा कैप्स फुड इंडिया प्राईवेट लिमिटेड, रायपुर छ.ग. के कौश्तुभ धर्माधिकारी द्वारा अपनी-अपनी सफलता की कहानी व अनुभव साझा किया गया। कार्यक्रम के अंत में केन्द्र के वैज्ञानिक संतोष कुमार धु्रव विषय वस्तु विशेषज्ञ के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया। इस एक दिवसीय वेबीनार में 1466 प्रतिभागियों ने पंजीयन कराया एवं कार्यक्रम के दौरान 381 प्रतिभागी जूम एप के माध्यम से जुड़े एवं 366 प्रतिभागियों ने यूट्यूब के माध्यम से लाइव अटेंड किया। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र, दंतेवाड़ा के तथा केन्द्र के वैज्ञानिक, विषय वस्तु विशेषज्ञ, कार्यक्रम सहायक एवं कर्मचारी आॅनलाइन माध्यम से उपस्थित थे।

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