उद्योग संघ ने उठाया सवाल, कैसे आत्मनिर्भर बनेगा MP, दोगुनी कीमत पर बिजली पोल खरीदने की तैयारी


भोपाल
प्रदेश की विद्युत वितरण कम्पनियों द्वारा एमपी में बनने वाले बिजली के खंबों को इग्नोर कर राजस्थान से दोगुनी कीमत पर खरीदी करने के लिए टेंडर बुलाए जा रहे हैं। अफसरों की इस मनमानी को आत्म निर्भर मध्यप्रदेश के संकल्प के विरुद्ध बताते हुए सरकार के संज्ञान में बात लाई गई है। कम्पनियों की मनमानी से लघु उद्योगों को बढ़ावा देने की राज्य सरकार की नीतियों को भी पलीता लगना तय है।

प्रदेश में अफसरशाही आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संकल्प को पूरा नहीं होने देना चाहती है। कोरोना संक्रमण के गंभीर दौर में जब प्रदेश के लघु, सूक्ष्म व मध्यम उद्योगों को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है और उनके उत्पादों की मार्केटिंग, खरीदी करने की जरूरत है तो विद्युत वितरण कम्पनियां इसके प्रतिकूल काम कर रही हैं। बताया गया कि प्रदेश में बिजली पोल बनाने वाली सौ इकाइयां हैं जिसमें से कोरोना के चलते 15 इकाइयां ही संचालित हो रही हैं। प्रदेश में एलटी लाइन के लिए आठ मीटर/140 केजी पीसीसी पोल और 11 केवी लाइन के लिए 9.1 मीटर/280 केजी पीसीसी पोल का इस्तेमाल होता रहा है जो लोड कैपिसिटी और विंड प्रेशर के आधार पर फिट पाए जाते रहे हैं।

इतना ही नहीं मैनिट की टीम ने परीक्षण के बाद इन्हें बिजली खंबों के रूप में उपयोग की क्लियरेंस भी दे रखी है लेकिन बिजली कम्पनियों के अफसरों को ये पोल अब पसंद नहीं आ रहे हैं। राज्य में बनने वाले बिजली के खंबों को ही पिछले साठ साल से उपयोग में लाया जा रहा है लेकिन अब कम्पनियों को इन पोल पर भरोसा नहीं है।

राजस्थान से बिजली खंबे खरीदने के लिए टेंडर बुला रही बिजली कम्पनियों द्वारा यह तर्क दिए जा रहे हैं कि एमपी में बनने वाले पोल से राजस्थान में बनने वाले खंबे ज्यादा मजबूत हैं। इन खंबों पर तार जमीन से ज्यादा ऊंचाई पर रहते हैं। मध्य प्रदेश लघु उद्योग संघ ने बिजली कम्पनियों के इन तर्कों को खारिज कर कहा है कि यहां न तो राजस्थान जैसे बवंडर और तूफान आते हैं और न ही इतनी ऊंचाई की जरूरत है, जितनी बताई जा रही है।

संघ के महासचिव विपिन कुमार जैन ने ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को एक शिकायत पत्र भी दिया है। इसमें कहा गया है कि प्रदेश में 8 मीटर/140 केजी खंबों की कीमत 1385 रुपए है। इसमें 18 प्रतिशत जीएसटी और 100 किमी तक ढुलाई का खर्च जोड़ने पर लागत 1800 रुपए तक पहुंचती है जबकि राजस्थान से आयातित खंबों की कीमत 2160 रुपए है। इसमें 18 प्रतिशत जीएसटी और राजस्थान से भोपाल तक 500 किमी ढुलाई का खर्च जोड़ने पर कीमत 3600 रुपए होती है। इसी तरह 9.1 मीटर/280 केजी के खंबे भी एमपी में उसी कीमत पर उपलब्ध हैं जबकि राजस्थान में अलग कीमत है। संघ ने सरकार से मांग कर कहा है कि प्रदेश में 100 यूनिट इसकी उपलब्धता के लिए काम कर रही है तो राजस्थान से बिजली खंबे मंगाने की व्यवस्था पर सवाल उठते हैं।

The Naradmuni Desk

The Naradmuni Desk

The Naradmuni-Credible source of investigative news stories from Central India.