कांग्रेस में मिले किस 'दर्द' की दवा लेने बीजेपी में शामिल हुए जितिन प्रसाद


नई दिल्ली
राजनीति में अकसर इतिहास खुद को दोहराता है। जितिन प्रसाद की बीजेपी में एंट्री के साथ ही कांग्रेस से उनके परिवार के रिश्तों का इतिहास एक बार फिर दोहराया गया है। जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद वर्ष 2000 में कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव में बगावत करते हुए सोनिया गांधी के खिलाफ उतरे थे। अब 21 साल बाद उनके बेटे ने कांग्रेस को करारा झटका दिया है। 47 वर्षीय जितिन प्रसाद ने ऐसे वक्त में बीजेपी का दामन थामा है, जब अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। कांग्रेस के आंतरिक सूत्रों ने उनके पार्टी छोड़ने को लेकर कहा कि वह लंबे समय से प्रदेश नेतृत्व से नाराज चल रहे थे। खासतौर पर अपने जिले शाहजहांपुर को लेकर वह खासे नाराज थे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस में प्रदेश स्तर पर किसी भी फैसले में शामिल न किए जाने से वह खफा थे। उनका गुस्सा तब और बढ़ गया, जब उनकी जानकारी के बिना ही शाहजहांपुर में जिला कांग्रेस अध्यक्ष बदल दिया गया। प्रसाद के साथ बीते कुछ महीनों में काम करने वाले एक लीडर ने कहा, 'उनका कहना था कि शाहजहांपुर में उन लोगों को कांग्रेस ज्यादा महत्व दे रही है, जो सपा छोड़कर आए हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस के लिए सालों तक काम करने वाले लोगों को हाशिये पर डाल दिया गया है।' नेतृत्व से नाराजगी का ही असर था कि जी-23 के नेताओं में वह भी शामिल थे और पार्टी में सुधार के लिए लीडरशिप को पत्र भी लिखा था।


यहां तक कि उन्हें पिछले दिनों बंगाल चुनावों के लिए पार्टी का इंचार्ज भी बनाया गया था, लेकिन इसे उन्होंने सजा के तौर पर ही लिया था। वह पार्टी की किसी मीटिंग और कार्यक्रम में नहीं दिखे थे। इसके अलावा गठबंधन, प्रचार और मैनेजमेंट से जुड़े मामलों में भी उनकी ज्यादा राय नहीं ली गई थी। कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने कहा कि दिल्ली में उन्होंने चुनाव प्रचार को लेकर कई बैठकें की थीं, लेकिन उनकी सारी योजनाओं पर सीनियर नेताओं ने पानी फेर दिया। उनकी ओर से दी गई किसी भी सलाह पर अमल ही नहीं किया गया। यूपीए के 10 साल के कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री रहे और 2004 एवं 2009 में लोकसभा चुनाव जीतने वाले जितिन प्रसाद कांग्रेस के टॉप ब्राह्मण नेताओं में थे, जिनकी यूपी में अच्छी साख थी। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, 'मैं उन्हें एक अच्छे इंसान के तौर पर जानता हूं। वह पार्टी का एक बड़ा ब्राह्मण चेहरा थे। शायद उन्होंने सत्ता के लिए बीजेपी जॉइन की है।' कभी टीम राहुल गांधी का हिस्सा रहे जितिन प्रसाद ने ऐसे वक्त में पार्टी छोड़ी है, जब कुछ महीनों बाद ही एक बार फिर से राहुल को पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा है। पार्टी के संगठन चुनावों से ठीक पहले उनका कांग्रेस छोड़ना दिखाता है कि वह इसे लेकर कितना परेशान थे। उनके पार्टी छोड़ने से एक बार फिर उजागर हुआ है कि कांग्रेस अपने युवा नेताओं को संभाल नहीं पा रही है। इससे पहले 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी बीजेपी जॉइन की थी।

 

The Naradmuni Desk

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