भोपाल
प्रदेश में समर्थन मूल्य पर उपार्जन करने वाली प्राथमिक सहकारी समितियों के पास रखा पचास हजार मीट्रिक टन गेहूं पिछले साल खराब हो गया। इसके चलते खरीदी करने वाली सोसायटियों ने तो किसानों को इसकी कीमत का भुगतान कर दिया लेकिन उन्हें इसके बदले कोई राशि नहीं मिली।
सहकारिता विभाग और खाद्य विभाग अब तक इसके एवज में दी जाने वाली क्षतिपूर्ति की राशि तय नहीं कर पा रहे है। इसके चलते सोसायटियों का घाटा बढ़ गया और कई सोसायटियां सहकारी बैंको की डिफाल्टर हो गई है।
पिछले साल समर्थन मूल्य पर राज्य सरकार ने प्राथमिक सहकारी समितियों के उपार्जन केन्द्रों से 129 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी की थी। इसमें से पचास हजार मीट्रिक टन गेहूं समितियों से गोदामों तक पहुंचने से पहले ही खराब हो गया था। इस गेहूं का भुगतान समितियों को अब तक नही मिल पाया है। इसमें क्षतिपूर्ति की राशि तय होना है। समितियों को इस गेहूं का कुछ आंशिक भुगतान होगा लेकिन यह निर्णय खाद्य विभाग और सहकारिता विभाग को मिलकर लेना है।
सहकारिता विभाग ने प्रस्ताव बनाकर खाद्य विभाग को भेज दिया है लेकिन अब तक इस पर क्षतिपूर्ति की राशि तय नहीं हो पाई है। इसके चलते सोसायटियों का करोड़ों रुपए का भुगतान अटक गया है। समितियां पहले से ही सहकारी बैंको का कर्ज जमा नहीं कर पाने से डिफाल्टर है अब यह राशि और अटक जाने से डिफाल्टर सोसायटियों की संख्या और बढ़ गई है। एक साल में भी अब तक इस मामले का निपटारा नहीं हो पाने से समितियों की देनदारी लगातार बढ़ रही है।
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