भोपाल
चंबल रेंज का आईजी बनने के लिए इन दिनों तेजी से जोड़-तोड़ शुरू हो गई है। इस रेंज की कमान पाने के लिए आधा दर्जन के करीब अफसर प्रयास कर रहे हैं। वहीं यह माना जा रहा है कि यहां नए आईजी की पदस्थापना से पहले भाजपा के एक वरिष्ठ एवं कद्दावर नेता की सहमति महत्वपूर्ण होगी।
चंबल रेंज के आईजी मनोज शर्मा 30 जून को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। शर्मा की जगह पर किसे आईजी बनाया जाए, इसे लेकर विचार शुरू हो गया है। ऐसा माना जा रहा है कि यहां पर भाजपा के एक वरिष्ठ एवं कद्दावर नेता की सहमति के बिना नए अफसर की पदस्थापना नहीं हो सकेगी। इस रेंज में जाने के लिए लगभग आधा दर्जन अफसर प्रयास कर रहे हैं। जिसमें एडीजी रैंक के भी अफसर शामिल हैं।
कभी दस्यु प्रभावित इस रेंज में जाने से अफसर बचते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। इस रेंज में अब काम करने के कई अवसर अफसरों को मिलते हैं। अब इस रेंज में माफियाओं का भी आतंक और दबदबा माना जाता है। इन्हें नियंत्रित करने के लगातार प्रयास भी होते रहे हैं।
प्रदेश में आईजी रेंक के अफसरों की खासी कमी है। इस वक्त प्रदेश में 18 आईजी हैं। इसलिए प्रदेश की कई पुलिस जोन में एडीजी को कमान दी गई है। भोपाल, शहडोल, बालाघाट और उज्जैन में एडीजी पदस्थ हैं, जबकि चंबल, ग्वालियर, सागर, रीवा, जबलपुर और इंदौर में आईजी रैंक के अफसरों के पास कमान है। कुछ एडीजी रेंज में जाने का भी प्रयास कर रहे हैं, यदि उनके प्रयास सफल हुए तो इस रेंज की कमान एडीजी रैंक के अफसर को दी जा सकती है।
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