भोपाल
अरब सागर से आगे बढ़ा दक्षिण-पश्चिम मानसून कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश को कवर करने के साथ महाराष्ट्र के नजदीक पहुंच गया है। उधर बंगाल की खाड़ी में भी मानसूनी हलचत तेज हो गई है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक बंगाल की खाड़ी में एक कम दबाव का क्षेत्र बनने जा रहा है। इसके बढ़ने के साथ ही मध्य प्रदेश में दो दिशाओं से मानसून के प्रवेश करने की संभावना बढ़ गई है। उधर मौजूदा स्थिति में वातावरण में लगातार नमी मिल रही है। जिसके चलते भोपाल, सागर, जबलपुर, होशंगाबाद, ग्वालियर, चंबल, इंदौर एवं उज्जैन संभाग के जिलों में गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ने के आसार बने हुए है।
मौसम विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश के अधिकांश जिलों में मानसून पूर्व की गतिविधियां तेज हो गई हैं। वातावरण में नमी बढ़ने और बादलों के बने रहने के कारण अधिकतम तापमान में कमी दर्ज होने लगी है। हालांकि बीच-बीच में धूप निकलने से उमस भी बढ़ गई है। मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश से आगे बढ़कर महाराष्ट्र तक पहुंच गया है। इसके लगातार आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां काफी अनुकूल बनी हुई हैं।
अजय शुक्ला ने बताया कि वर्तमान में मप्र में कोई वेदर सिस्टम सक्रिय नहीं है, लेकिन आसपास बने सिस्टम के कारण लगातार नमी मिल रही है। पंजाब पर एक ऊपरी हवा का चक्रवात बना हुआ है। हरियाणा और उससे लगे राजस्थान पर भी एक ऊपरी हवा का चक्रवात बना हुआ है। कर्नाटक कोस्ट पर एक ऊपरी हवा का चक्रवात बना हुआ है। इसके अतिरिक्त दक्षिण महाराष्ट्र तट से लेकर दक्षिण केरल तक औसत समुद्र तल पर एक अपतटीय ट्रफ बना हुआ है।
बंगाल की खाड़ी में 10-11 जून को एक कम दबाव का क्षेत्र बनने जा रहा है। इसके आगे बढ़ने के साथ ही दक्षिण-पश्चिम मानसून को और ऊर्जा मिलेगी। इसके प्रभाव से झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ क्षेत्र में बरसात का दौर शुरू दौर जाएगा। अजय शुक्ला ने बताया कि इस वर्ष बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों तरफ से मानसून के मप्र में प्रवेश करने के आसार दिख रहे हैं। इसके पूर्व वर्ष 2015 में इस तरह की स्थिति बनी थी।
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