भोपाल
मध्य प्रदेश कॉडर के एक दर्जन के लगभग आईपीएस अफसर फील्ड पोस्टिंग पाने में किस्मत के मारे दिखाई देते हैं। कई प्रयास करने के बाद भी इन अफसरों को मैदानी पोस्टिंग से लंबे अरसे से दूर रखा गया है। वहीं दो अफसर ऐसे भी हैं जो पदोन्नति को तरस रहे हैं। इनमें से एक अफसर जिनकी पदोन्नति 7 साल पहले हो जाना थी, वे अब तक इंतजार ही कर रहे हैं।
मंदसौर में हुए किसान गोली कांड के वक्त वहां के पुलिस अधीक्षक रहे ओपी त्रिपाठी तब से फील्ड में पदस्थ नहीं हो सकें हैं। वहीं आईपीएस सविता सोहाने, अनिता मालवीय को आईपीएस बने दो साल से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन दोनों ही महिला अफसरों को जिला नहीं मिल सका हैं।
इस तरह से एआईजी सीआईडी श्रद्धा तिवारी को भी फील्ड में नहीं भेजा गया है। लंबी जांचों से गुजर कर आईपीएस बने सुशील रंजन सिंह भी जिले में अब तक पदस्थ नहीं किए जा सकें हैं। वहीं एआईजी विकास पाठक भी फील्ड में भी नहीं भेज गए हैं। इनमें से श्रद्धा तिवारी, सुशील रंजन और विकास पाठक पीएचक्यू में पदस्थ हैं। सविता सोहाने और अनिता मालवीय बटालियन में पदस्थ हैं।
वर्ष 1999 बैंच के आईपीएस निरंजन बी वायंगणकर अब तक डीआईजी है। वे प्रतिनियुक्ति पर महाराष्टÑ चले गए थे, वहां से आने के बाद उन्हें अब तक पदोन्नति नहीं मिल सकी है। वे जब से प्रदेश वापस आए हैं, तब से ही डीआईजी के पद पर पदस्थ हैं। जबकि प्रदेश में वर्ष 2007 बैच के आईपीएस अफसर डीआईजी हो चुके हैं।
वायंगणकर के बैच के दो अफसरों को आईजी बने हुए तीन साल से ज्यादा का समय हो चुका है। वहीं वर्ष 2001 बैच के अफसर रघुवीर सिंह मीणा अब तक डीआईजी नहीं बन सकें हैं। जबकि उनके बैच के दो अफसर आईजी बन चुके हैं। पदोन्नति नहीं मिलने के चलते मीणा लंबे समय से बटालियन में कमांडेंट के पद पर पदस्थ हैं।
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