MSME: न्यू पॉलिसी से छोटे निवेशकों को होगा नुकसान


भोपाल
राज्य सरकार द्वारा सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए लागू की गई नई एमएसएमई पालिसी में डेवलपर्स को निवेशक लाने और भूखंडों के मेंटेनेंस का अधिकार तो मिलेगा लेकिन यह पॉलिसी छोटे इन्वेस्टर्स के लिए नुकसानदेह हो सकती है। इस पालिसी में सौ फीसदी आनलाइन नीलामी होगी जिसके बाद सरकारी कीमत तय होने से बोली की कीमत काफी अधिक हो सकती है।

सरकार को तो इससे फायदा होगा लेकिन छोटे इन्वेस्टर्स को आसानी में भूमि मिलने में दिक्कत होती क्योंकि बड़े उद्योगपति अफसरों से सांठगांठ कर जमीन हथिया लेंगे। जिन भूखण्डों में कोई नीलामीकर्ता उपलब्ध नहीं होता है, सिर्फ उसमें ही ‘प्रथम आओ, प्रथम पाओ’ की नीति लागू होगी।

एमएसएमई की पुरानी पालिसी में यह प्रावधान था कि आनलाइन आवेदन करने पर आवेदक इन्वेस्टर्स को पहले आओ पहले पाओ के आधार पर प्लाट्स मिल जाते थे। तब यह नहीं देखा जाता था कि कोई अगर ज्यादा राशि दे रहा है तो उसे ही प्लाट दिया जाएगा। अब जो नई व्यवस्था तय हुई है, उसके मुताबिक क्लस्टर में विकसित प्लाट्स की नीलामी सौ फीसदी आनलाइन होगी।

इसमें सरकार की ओर से रेट फिक्स किए जाएंगे और उससे अधिक की बोली नीलामी में शामिल होने वालों को लगानी होगी। जो सबसे अधिक बोली लगाएगा, उसे प्लाट मिलेगा। इसके बाद यह माना जा रहा है कि छोटे इन्वेस्टर्स को इसमें नुकसान होगा और उन्हें आसानी से प्लाट्स नहीं मिलेंगे। इतना ही नहीं मेंटेनेस चार्ज भी 100 रुपए वर्गमीटर से बढ़ाकर 250 रुपए वर्ग मीटर कर दिया गया है। यह भी छोटे इन्वेस्टर्स के लिए महंगा साबित होगा। दूसरी ओर बड़े उद्यमी और उद्योगपति आसानी से जमीन हासिल करने में सफल होंगे।

अभी इंदौर, भोपाल, जबलपुर समेत बड़े शहरों में जो अच्छी लोकेशन के प्लाट्स हैं, उनमें एमएसएमई के सीनियर अफसरों की मिलीभगत भी होती रही है। ये या तो खुद किसी के नाम पर प्लाट बुक कर लेते हैं या अपने करीबियों को दिला देते हैं। अब नई पालिसी से इसे और भी बढ़ावा मिलेगा।

नई पॉलिसी में प्रदेश में उद्यमियों को नगरीय तथा गैर नगरीय भूमि पर स्व-निर्धारित डिजाइन के अनुसार क्लस्टर विकसित तथा संधारित करने का अवसर मिलेगा। इन क्लस्टर्स में भूमि विकास के लिए डेवलपर्स को कलेक्टर की असिंचित भूमि की गाइडलाइन के मात्र 25 प्रतिशत पर भूमि आवंटित की जाएगी। अब डेवलपर्स विकसित क्लस्टर्स में अपनी इच्छा से निवेशक ला सकेगा और संधारण कार्य भी उनके द्वारा स्वयं किया जाएगा।

सरकार का दावा है कि इस नवीन नीति से प्रदेश में तेजी से फार्मा, खिलौना, फर्नीचर क्लस्टर विकसित हो सकेंगे और इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। आवंटित भूखण्डों पर स्टाफ तथा श्रमिकों के निवास के लिए पहली बार नियमों में संशोधन किया गया है। इससे श्रमिक वहीं रह सकेंगे। श्रमिकों के कार्य-स्थल पर निवास करने से आवागमन में लगने वाला समय कम होगा और उत्पादकता में वृद्धि होगी।

The Naradmuni Desk

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