नई दिल्ली
कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में लगातार नई-नई पहल हो रही है। इसी कड़ी में अब देश में ड्रोन के इस्तेमाल की भी तैयारी शुरू हो चुकी है। दो महीने पहले ही केंद्र सरकार की ओर से इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च को इस दिशा में संभावनाएं तलाशने की अनुमति मिली थी। कोशिश ये है कि ड्रोन के जरिए उन इलाकों में जल्दी से जल्दी वैक्सीन और मेडिसिन पहुंचाई जाए, जहां दूसरे माध्यम से जाने में ज्यादा देर हो सकती है। तेलंगाना ऐसा पहला राज्य है, जिसने एक ई-कॉमर्स कंपनी से इसके लिए करार भी कर लिया है और जल्द ही पायलट प्रोजेक्ट पर काम भी शुरू होने वाला है।
देश के दूर-दराज इलाकों में रहने वाले लोगों तक जल्द ही ड्रोन की मदद से कोविड-19 वैक्सीन पहुंचाई जा सकती है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ईसीएमआर) की ओर से शुक्रवार को एचएलएल इंफ्रा टेक सर्विसेज लिमिटेड ने भारत के कुछ चुनिंदा स्थानों तक अनमैन्ड एरियल व्हीकल (यूएवी) के जरिए मेडिकल सप्लाई, जैसे कि वैक्सीन और दवाइयों की डिलिवरी के इच्छुक ऑपरेटरों से एक्प्रेशन ऑफ इंटरेस्ट मांगा है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि आईसीएमआर इसके लिए पहले से तय फ्लाइट पाथ पर कोविड-19 वैक्सीन की डिलिवरी के लिए यूएवी ऑपरेटरों की सेवाएं लेगा। इसने इच्छुक पार्टियों से आवेदन के लिए एक खाका भी तैयार किया है।
आईसीएमआर को किस तरह के ड्रोन की आवश्यकता है, इसकी की भी जानकारी दी गई है। कंपनी के मुताबिक ड्रोन ऐसे होने चाहिए जो कम से कम 100 मीटर की ऊंचाई तक न्यूनतम 35 किलोमीटर की हवाई दूरी तय कर सकें। यह ऐसे यूएवी होंगे जो खड़ी उड़ान भरने में सक्षम होंगे और कम से कम 4 किलो ग्राम पेलोड लेकर चल सकेंगे। इनमें निर्धारित स्थान तक सामान पहुंचाकर अपने होम बेस लौट आने की भी क्षमता होनी चाहिए। एचएलएल की ओर से साफ किया गया है कि पैराशूट आधारित डिलिवरी को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी। यह भी साफ कर दिया गया है कि यूएवी ऑपरेटरों से यह प्रस्तावित करार 90 दिनों तक मान्य रहेगा और परफॉर्मेंस और प्रोग्राम की जरूरतों के मुताबिक इसे बढ़ाया भी जा सकता है।
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