सागर
एमपी अजब है, यह यूं ही नहीं कहा गया है. कोरोना काल में स्कूली शिक्षा की हालत वैसे भी चरमराई हुई है, उस पर से सागर जिले में एक पुराने स्कूल भवन का जो हाल दिखा, वह हैरान करने वाला है. जिस स्कूल भवन में कभी बच्चों की उछल-कूद हुआ करती थी, वह अब मुर्गी पालन केंद्र में बदल चुका है. जी हां, बीना के मनऊं गांव के एक स्कूल को 2015 में इस वजह से बंद कर दिया गया क्योंकि यहां बच्चों ने एडमिशन ही नहीं कराया. नामांकन शून्य होने के कारण स्कूल के शिक्षकों को भी दूसरी जगहों पर शिफ्ट कर दिया गया और स्कूल भवन की जिम्मेदारी पंचायत के जिम्मे आ गई. पंचायत ने जब देख-रेख नहीं की तो कुछ लोगों ने स्कूल भवन को मुर्गी पालन केंद्र यानी पोल्ट्री फार्म बना लिया. इन दिनों इस भवन में कड़कनाथ मुर्गे पाले जा रहे हैं.
मध्य प्रदेश के गांवों में शिक्षा का स्तर सुधारने की सरकारी कवायद और योजनाओं का हाल बयां करती बीना की यह तस्वीर व्यवस्था पर सवाल उठाती है. जानकारी के मुताबिक यह स्कूल भवन बीना के किर्रोद ग्राम पंचायत के मनऊं गांव में है. प्राथमिक शिक्षा के लिए खोले गए इस स्कूल में 5-6 साल पहले ही बच्चों का नामांकन शून्य होने की स्थिति पैदा हो गई, लिहाजा यहां के शिक्षकों को दूसरे स्कूल में शिफ्ट कर भवन को पंचायत के हवाले कर दिया गया था. स्कूल भवन की देख-रेख सही तरीके से हो, इसके लिए पंचायत स्तर से कोई पहल नहीं की गई. इस भवन का इस्तेमाल पंचायत की अन्य गतिविधियों के लिए किया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
किर्रोद पंचायत की इस लापरवाही का फायदा कुछ लोगों ने उठाया और स्कूल भवन में पोल्ट्री फार्म की शुरुआत कर दी. अब जब यह मामला सुर्खियों में आया, तो प्रशासन की तरफ से सफाई दी जा रही है. इस मामले को लेकर जब न्यूज 18 ने बीना के जनपद सीईओ आशीष जोशी से बात की, तो उनका कहना था कि मनऊं गांव में शासकीय स्कूल भवन को कुछ लोग निजी काम-धंधे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, यह मामला अभी संज्ञान में आया है. ऐसा करना गलत है, प्रशासन इस पर कार्रवाई करेगा.
सीईओ आशीष जोशी ने कहा कि बिना प्रशासनिक अनुमति के शासकीय भवन का इस्तेमाल गलत है. सीईओ ने कहा कि उन्होंने सचिव को इस बारे में निर्देश दिया है, एक-दो दिनों के भीतर ही स्कूल के भवन में चल रहे अवैध काम बंद करा दिए जाएंगे. इस मामले को लेकर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी राजेश ठाकुर ने कहा कि प्राथमिक शाला मनऊं का भवन पंचायत के अधीन है. पंचायत के ऊपर ही इसकी देखरेख की जिम्मेदारी दी गई थी.
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