यदि आपका डर आपके लिए सजा बन जाए तो यह आपके लिए खतरे की बात है, क्योंकि आपको मात्र डर नहीं है बल्कि आप फोबिया से ग्रस्त हैं। फोबिया केवल डर ही नहीं, एक गंभीर बीमारी है, जो आपके पूरे जीवन को प्रभावित कर सकती है।
क्या है फोबिया?
फोबिया एक प्रकार का रोग है, जिसमें इंसान को किसी खास वस्तु, कार्य एवं परिस्थिति के प्रति भय उत्पन्न हो जाता है। इसमें व्यक्ति उन चीजों से बचने की कोशिश करता है। फोबिया में अपने डर की सोच भी व्यक्ति को इतना डरा देती है कि उसकी मानसिक व शारीरिक क्षमताओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसमें इंसान का डर वास्तविक या काल्पनिक दोनों हो सकते हैं। आमतौर पर किसी भी तरह के फोबिया से ग्रस्त रोगी अपने डर पर पर्दा डाले रहते हैं। उन्हें लगता है कि अपना डर दूसरों को बताने से लोग उन पर हंसेंगे। इसलिए वे अपने डर व उस परिस्थिति से सामना करने की बजाय बचने की हर संभव कोशिश करते हैं।
चाइल्डहुड फोबिया
यह फोबिया बचपन से होने वाला फोबिया है। इसमें बचपन में ही किसी चीज, व्यक्ति, जानवर या परिस्थिति के प्रति डर बैठ जाता है, जो वक्त के साथ खत्म न होने पर फोबिया बन जाता है। यह डर या तो बच्चों में खुद होता है या कई बार अभिभावक ही बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए किसी चीज से डरा देते हैं। वैसे तो यह डर उम्र के साथ खत्म हो जाता है, लेकिन कई बार जब यह डर बड़े होने पर भी नहीं जाता तो फोबिया का रूप धारण कर लेता है। इसलिए बच्चों को डराने की बजाय प्यार से समझाने की कोशिश करें।
एडल्टहुड फोबिया
कुछ डर वयस्क होने के बाद पैदा होते हैं। इनका प्रभाव सबसे ज्यादा यंग जनरेशन पर पड़ता है। एडल्टहुड फोबिया में कई तरह के फोबिया शामिल होते हैं।
एग्रोफोबिया
एग्रोफोबिया एक तरह का फोबिक डिसऑर्डर है, जो यह अपने साथ कई अन्य परेशानियां भी लाता है। इनमें डिप्रेशन, हर तरह की बेचैनी आदि प्रमुख हैं। एग्रोफोबिया में व्यक्ति को बिना किसी कारण के ही डर लगता है। यह डर किसी चीज, व्यक्ति, जानवर या परिस्थिति से जुड़ा हुआ न होकर खुद के प्रति ही होता है। एग्रोफोबिया का मरीज अकेलेपन से डरता है। वह भीड़ में खड़ा होकर भी खुद को अकेला ही महसूस करता है। वह कहीं अकेले जा नहीं सकता, अकेले रह नहीं सकता। उसे लगता है कि वह किसी भी परिस्थिति का सामना नहीं कर सकता। ऐसे लोगों का आत्मविश्वास न के बराबर होता है।
ऐसे लोग अकेले बाहर न जा सकने के कारण खुद को घर में ही कैद कर लेते हैं।कुछ मामलों में तो यहां तक देखा गया है कि एग्रोफोबिया के मरीज कई सालों तक घर से बाहर नहीं निकले हैं।
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