नई दिल्ली
नाबालिग से दुराचार के आरोप में जोधपुर जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम बापू की अंतरिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। इस दौरान राजस्थान सरकार ने आसाराम बापू की ओर से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा है कि वह मेडिकल इलाज की आड़ में अपनी हिरासत की जगह बदलना चाहते हैं। शीर्ष अदालत के समक्ष दायर अपने जवाबी हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा है कि आसाराम जिन्होंने पहले अपनी बीमारियों के एलोपैथिक उपचार के लिए जमानत मांगी थी, अब एक आयुर्वेद से इलाज के लिए प्रार्थना की है, केवल इसलिए कि उनकी पहले की याचिकाएं सफल नहीं हुई थीं। पिछले दो उदाहरणों का हवाला देते राज्य सरकार ने कहा कि उन्होंने चिकित्सा उपचार की आड़ में अपनी सजा को निलंबित करने का तीसरा प्रयास किया है।
2016 में सात डॉक्टरों की एक समिति द्वारा आसाराम की जांच के बाद उन्होंने निष्कर्ष निकाला था कि उन्हें सर्जरी की जरूरत नहीं थी। आगे बताया गया कि जोधपुर के एमएम अस्पताल द्वारा जारी 17 फरवरी, 2021 के क्लीनिकल समरी में कोरोनरी एंजियोग्राफी की सलाह दी गई थी, जिसे उन्होंने मना कर दिया था। कोर्ट का राजस्थान सरकार ने यह भी बताया था कि एम्स जोधपुर द्वारा 21 मई, 2021 को जारी की गई डिस्चार्ज रिपोर्ट से पता चलता है कि बापू अस्पताल में कोई सहयोग नहींकर रहे थे और उन्होंने इंजेक्शन और दवाएं लेने से साफ इनकार कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अब इस मामले की सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टाल गई है। राजस्थान सरकार की ओर से दाखिल जवाब पर अपना जवाब देने के लिए आसाराम के वकील ने कोर्ट से और समय मांगा है। इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम की अंतरिम जमानत अर्जी खारिज की दी, जिसमें उसने अपने स्वास्थ्य को आधार बनाकर अंतरिम जमानत की मांग की थी। आसाराम के कोरोना होने के बाद उसका इलाज जोधपुर में किया जा रहा था।
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