भोपाल
प्रदेश में विशेष पिछड़ी जनजाति समूहों की बसाहटों को हेबिटेट राईट्स देने पर राज्य सरकार दो करोड़ 39 लाख रुपए इस साल खर्च करेगी।
केन्द्रीय सहायता के तहत वर्ष 19-20 में भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय ने वनाधिकार गतिविधियों के लिए आवंटित किए गए 239 लाख 28 हजार रुपए का उपयोग नहीं हो पाने से यह राशि समर्पित की गई थी। अब इस वित्तीय वर्ष के लिए वनाधिकार गतिविधियों के लिए बारह सौ लाख रुपए मंजूर किए गए है।
इसमें से 2 करोड़ 39 लाख 28 हजार रुपए की राशि फिर आवंटित की गई है। इस राशि से वनाधिकार अधिनियम के तहत वन भूमि पर काबिज विशेष पिछड़ी जनजाति समूहों की बसाहटों के रहवासियों को पर्यावास अधिकार प्रदान किए जाएंगे। उन्हें वन भूमि के वनाधिकार पत्र प्रदान किए जाएंगे और वहां उन्हें आवास बनाने और सड़क, बिजली, पानी सहित अन्य सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा।
इस राशि को खर्च करने में केन्द्र सरकार द्वारा अनुमोदित कार्य योजना और शर्तो का पालन करना होगा। इसमें होने वाले कामों की निरंतर समीक्षा करते हुए वित्तीय एवं भौतिक प्रगति पीपीआर की जानकारी के साथ उपयोगिता प्रमाणपत्र भी जमा कराना होगा। इन कामों का सत्यापन और योजना के क्रियान्वयन की व्यवस्था भी करना होगा। संपूर्ण जानकारी का दस्तावेजीकरण करना होगा और सेम्पलिंग के आधार पर भौतिक सत्यापन भी कराया जाएगा। इससे पिछड़ी जनजातियों को आवास सुविधा का विस्तार हो सकेगा।
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