रांची
शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की मान्यता आजीवन रहने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद झारखंड के करीब एक लाख टेट पास अभ्यर्थियों में भी आस जगी है। झारखंड में अब तक दो बार 2013 और 2016 में शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन किया गया है। 2013 के अभ्यर्थी 2015-16 में नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल हुए, जबकि 2016 के टेट अभ्यर्थियों को किसी नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल होने का अब तक मौका नहीं मिल सका है।
अब झारखंड सरकार राज्य के टेट पास अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट की वैधता सात साल रखने या फिर आजीवन करने पर अंतिम निर्णय लेगी। 2013 में आयोजित टीईटी में 66,364 अभ्यर्थी पास किए थे। 2015-16 में चली नियुक्ति प्रक्रिया में 15,698 टेट पास अभ्यर्थियों की शिक्षक के पद पर नियुक्ति हो सकी थी। बाद में हाई कोर्ट के निर्देश के बाद फिर से फिर से काउंसलिंग शुरू की गई और करीब ढाई हजार शिक्षक नियुक्त हो सके। 2013 टेट के करीब 48 हजार अभ्यर्थी अभी भी बचे हुए हैं। वहीं 2016 शिक्षक पात्रता परीक्षा में 53 हजार अभ्यर्थी सफल हुए। इनके लिए आज तक नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। ऐसे में राज्य 1.01 लाख अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट की मान्यता आजीवन रह सकती है।
48 हजार अभ्यर्थियों की वैधता हो चुकी है खत्म
2013 में शिक्षक पात्रता परीक्षा पास किए 48000 अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट की मान्यता पिछले साल 2020 में ही खत्म हो चुकी है। 2013 में जब टेट का आयोजन हुआ था उस समय पांच साल की वैधता रखी गई थी। मई 2018 में अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट की वैधता खत्म हुई तो इसमें दो साल की मान्यता बढ़ाई गई। 2020 में शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने दो साल और मान्यता बढ़ाने का प्रस्ताव दिया, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से उसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। इस आधार पर 2016 टेट पास अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट की मान्यता पांच साल से सात साल कर दी गई।
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