परिवारिक पेंशनरों के प्रकरणों के निपटारे के लिये विशेष अभियान चलाने की जरूरत है - नामदेव


रायपुर
छत्तीसगढ़ राज्य में सेवारत अथवा सेवानिवृत्त शासकीय कर्मचारियों के मृत्यु उपरान्त उन पर आश्रित परिजन को पारिवारिक पेंशन की पात्रता होती है। इसके लिये कुछ मामूली फार्मलिटी को पूरा करने में मृतक के  विभागीय अधिकारियों, कोषालय और बैंक अधिकारियों का समुचित सहयोग नहीं मिलने के कारण अनेक दिवंगत पेंशनर्स के पात्र परिजन वर्षो से पेंशन से वंचित निराश्रित सा जीवन जीने को मजबूर हैं। इसलिए लंबित परिवारिक पेंशन प्रकरणों के निपटारे के लिये जिलास्तर पर विशेष अभियान चलाने की जरूरत है, जिसमे सम्बंधित सभी विभागों के अधिकारियों की उपस्थिति में सभी प्रकरणों पर सन 2000 से वरिष्ठता क्रम में वन बाई वन समीक्षा कर प्रकरणों का निराकरण आन द स्पाट तुरन्त किया जाना चाहिए।

यह बड़ी विडम्बना है कि प्रदेश में सेवानिवृत्त होने वाले अथवा दिवंगत कर्मचारियों के पेंशन-पारिवारिक पेंशन का निपटारा समय पर नहीं कर पाते और उन्हें या उनके परिजनों को सरकारी दफ्तर के बार बार चक्कर लगाने के लिये मजबूर होना पड़ता है और यह बात सभी जिम्मेदार लोगों को मालूम होने के बाद उन्हें इन दुखी पेंशनरो और परिवार पेंशनर लोगो की कोई चिंता नही है। उक्त आरोप जारी विज्ञप्ति में भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री एवं छत्तीसगढ़ राज्य सँयुक्त पेंशनर्स फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने लगाया है। उन्होंने बताया है कि यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि पीपीओ (पेंशन पमेन्ट आर्डर) में सँयुक्त संचालक, कोष,लेखा पेशन का डिजिटल हस्ताक्षर भी पेंशनभोगियों के लिये गले का फांस बना हुआ। जो सबकुछ होने के बाद डिजिटल हस्ताक्षर के नाम पर कई-कई दिनों पीपीओ कार्यालय में ही लटका रहता है।

जारी विज्ञप्ति में फेडरेशन के अध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव, पेन्शनर एसोसिएशन के प्रांताध्यक्ष यशवन्त देवान, पेंशनर्स महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष जे पी मिश्रा तथा पेन्शनर कल्याण संघ के प्रांताध्यक्ष आर पी शर्मा ने आगे बताया है कि पीपीओ जारी करने का अधिकार जिलों में नहीं होने का खामियाजा भी पेन्शनर अथवा परिवार पेन्शनर ही भुगत रहे हैं, क्योंकि यह अधिकार केवल सम्भागीय मुख्यालय क्रमश: रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, जगदलपुर, अम्बिकापुर स्थित सँयुक्त संचालक, कोष लेखा व पेंशन को है, जो अपने सम्भाग के आश्रित जिलों के पेंशन प्रकरणों के निराकरण के लिए जिम्मेदार है, जहां पर जीवन के अंतिम पड़ाव में गांव-देहात से पहुंचकर अपने काम के बारे में जानकारी लेना अड़चनकारी होता हैं और दफ्तर में इन उम्रदराज पेंशनरो के लिये न बैठने की समुचित व्यवस्था की जाती है और न ठीक ठाक व्यवहार ही होता हैं।

जारी विज्ञप्ति में पेन्शनर संगठनों ने शासन के निर्देश के परिपालन में ट्रेजरी और बैंक दफ्तरों में वरिष्ठ नागरिक वर्ग के पेंशनरों के लिये आरामदायक कमरे और आरामदायक कुर्सियों में बैठक व्यवस्था करने और प्रकरण के प्रक्रियाओं के उलझन को दूर करने पृथक से नोडल अधिकारी भी नियुक्त करने की मांग की है।

The Naradmuni Desk

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