सेहतमंद रहने की अनोखी विधि


मामूली से खर्च में हमेशा स्वस्थ और ऊर्जावान रहने की विधि है गंडूषकर्म या तेल चूषण विधि। मुख के अंदर तेल भरकर कुछ समय तक रखने या चूसने मात्र से अनेकानेक रोगों से छुटकारा मिल सकता है। यह बहुत पुरानी आयुर्वेद की चिकित्सा है जिसको आज सिर्फ कुछ गिने चुने लोग ही जानते हैं। आज पश्चिमी जगत इसको आइल पुलिंग थेरेपी के नाम से जानता है। आयल पुलिंग शरीर से विषों को निकाल डी टॉक्सिफाई करने की आसान सरल और सस्ती विधि है। छोटे से छोटे, बड़े से बड़े और नए तथा पुराने रोगों से छुटकारा दिलाने में बहुत अहम है यह प्रक्रिया। यह विधि आज पश्चिमी जगत में बहुत लोकप्रिय है, मगर दुर्भाग्य है कि भारत के लोग ही इसको नहीं जानते। आज हम आपको इसी विधि के बारे में बताएंगे। इससे शरीर विषमुक्त तो होगा ही साथ ही साथ नई ऊर्जा और रोग मुक्त हो कर आप बिल्कुल नया अनुभव करेंगे।

आश्चर्यजनक शोध
ऑइल पुलिंग को आयुर्वेद में गंडूषकर्म के नाम से जाना जाता है। इस तकनीक पर हाल के ही दिनों में कुछ शोधकर्ताओं ने शोध भी किए हैं और उनके परिणाम इतने सकारात्मक निकले हैं कि भरोसा करना मुश्किल है। कुछ रोगों में तो लाभ महज दो दिनों में ही सामने आ जाता है, जबकि कुछ में एक साल का समय लग जाता है। आमतौर पर फायदे के लिए ऑइल पुलिंग तकनीक को कम से कम लगातार चालीस से पचास दिनों तक प्रयोग में लाए जाने के आवश्यकता होती है।

आइल पुलिंग की विधि
सवेरे उठकर मुंह साफ करने के बाद लेकिन नाश्ते से पहले एक बड़ा चम्मच 10 एमएल सूरजमुखी का तेल, या तिल का तेल, या मूंगफली का तेल लीजिए, इसको मुंह में भर लेने के बाद मुंह बंद रखकर उसे मुंह में घुमाए और दांतो से खींचे और ऐसा 15-20 मिनट तक करें। अन्य शब्दों में, तेल को चबाने की क्रिया करे। चबाते समय ठोड़ी को हिलाएं (घोड़े द्वारा दाना खाने के समान)। इससे अच्छी लार बनती है और मुख की श्लैष्मिक झिल्ली के माध्यम से रक्तदोष और विष खींच लिए जाते हैं। मुंह में तेल भरकर इस क्रिया को करने से 15-20 मिनट में तेल दूषित, पतला और सफेद हो जाता हैं। इसके बाद दूषित तेल को थूक दीजिए।

कुछ सावधानियां रखें
किसी भी हालत में इस जहरीले तेल को निगलना नहीं हैं। इसके बाद मुंह को अच्छी तरह धो लीजिए और दातुन या दंत मंजन कर लीजिये। आइल पुलिंग के बाद शरीर के जहरीले तत्व तेल के साथ मुंह में आ जाते हैं। यह चिकित्सा रोगी को अपने रोग अनुसार दिन में दो या तीन बार करनी चाहिए। ध्यान रहे यह करने से पहले पेट खाली ही हो, अर्थात भोजन के पहले ही करना है।

ताजे और पुराने रोग
ताजे रोग और प्रारंभिक चिकित्सा काल के संक्रमण 2 से 4 दिन में शीघ्रता से ठीक हो जाते हैं परंतु पुरानी बीमारियां ठीक होने में अधिक समय लग जाता है। अत: चिकित्सा प्रक्रिया छोडऩी नहीं चाहिए। प्रयोग के प्रारंभ में खासकर एक से अधिक रोग वाले रोगी की तकलीफे बढ़ सकती हैं। जैसे शरीर का तापमान बढ़ जाना इत्यादि। ऐसी स्थिति में घबराकर चिकित्सा नहीं छोड़ें। बिना किसी दखल के अपने आप सब ठीक हो जाता है। ऐसे लक्षण इस बात का सूचक हैं के रोग खत्म हो रहा है और चय अपचय बढऩे से रोगी का स्वास्थ्य सुधर रहा है।

ये हैं फायदे
आयल पुलिंग से विषैले ट्यूमर का बनना रुक जाता है और धीरे धीरे रोग समाप्त हो जाता है। इसके परिणाम से आंखों के नीचे काले घेरे मिट जाते हैं और ताजगी, स्फूर्ति, शक्ति, स्मरणशक्ति, बढ़ जाती है।

The Naradmuni Desk

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