भोपाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा धरती के भीतर जल संग्रहण के लिए शुरू की गई कैच द रेन स्कीम में एमपी के 11 जिलों में कलेक्टरों और जिला पंचायतों के सीईओ ने रुचि नहीं दिखाई है। पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने इस पर नाराजगी जताते हुए प्राथमिकता से कार्ययोजना बनाकर काम करने के लिए कहा है।
पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव ने पिछले दिनों विभाग के कामों की वीडियो कांफ्रेंसिंग द्वारा समीक्षा की है। इस समीक्षा में यह बात सामने आई है कि जल शक्ति अभियान के अंतर्गत प्रदेश के आगर मालवा, हरदा, नीमच, नरसिंहपुर, उमरिया, बुरहानपुर, दतिया, सिंगरौली, सतना, टीकमगढ़ और सीहोर जिलों द्वारा एक भी काम की प्रशासकीय स्वीकृति जारी नहीं की गई। प्रमुख सचिव ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि कम प्रगति वाले सभी जिले जल शक्ति अभियान के कार्यों को प्राथमिकता दें और इसके लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाएं।
इस दौरान यह भी कहा गया कि अधिकारी जिलों में मनरेगा योजना के अंतर्गत चयनित किए गए कामों की अधिक से अधिक तकनीकी और प्रशासकीय स्वीकृति जारी करें। प्रदेश में 25 लाख से अधिक के कामों की गूगलशीट के माध्यम से जानकारी एकत्र की जा रही है। इसमें यह पता चला है कि जिलों द्वारा सिर्फ 646 कार्यों का चयन किया गया है और 410 कामों की तकनीकी और 327 कार्यों की प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई है। यह स्थिति अच्छी नहीं है। बारिश का मौसम शुरू होने वाला है। इसलिए अधिकारी समय पर प्लानिंग करके जल शक्ति अभियान के अंतर्गत किए जाने वाले कामों को प्राथमिकता दें।
प्रमुख सचिव ने सीपी ग्राम पोर्टल पर लंबित शिकायतों की समीक्षा के दौरान मुरैना की 52 और कटनी की 23 शिकायतों के संबंध में सीईओ जिला पंचायत को समाधान के लिए दो दिन का समय देकर केस निराकृत करने के लिए कहा गया। अगर ये अधिकारी निराकरण नहीं कर सके तो भोपाल मुख्यालय तलब किए जाएंगे।
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