नवादा
नवादा जिले के कौआकोल प्रखंड से करीब 20 से 25 किमी दूर जमुई जिले की सीमा पर बसा है गायघाट गांव। इस नक्सल प्रभावित गांव के करीब 85 आदिवासी परिवार आज की तारीख में पर्यावरण संरक्षण की नई इबारत लिख रहे हैं। बिना किसी बड़े बजट के ही यहां के लोगों ने मिलकर एक बड़ा चेकडैम बनाकर मिसाल कायम कर दी। 10-15 फीट चौड़ी और 20-25 फीट ऊंचा डैम बनाने में आदिवासियों को पांच से छह महीने का समय लगा। सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही इस चेकडैम से कई एकड़ की खेतों में सिंचाई होनी शुरू हो जाएगी।
कभी नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहे इलाके के आदिवासी समाज को पानी का महत्व समझाकर सामूहिक श्रमदान से गांव की तस्वीर बदलने में पानी रे पानी के संयोजक पंकज मालवीय की बड़ी भूमिका रही। आदिवासियों को एकजुट करने में ग्राम निर्माण मंडल, सेखोदेवरा के प्रधानमंत्री अरविंद कुमार का भी सहयोग रहा। वन विभाग ने भी डैम के निर्माण में योगदान किया। हाल में आए तूफानी चक्रवात से हुई बारिश से तालाब का एक बड़ा हिस्सा भी पानी से भर गया है। जल संरक्षित हुआ, तो आसपास के इलाकों का चार से पांच फीट जलस्तर भी ऊपर उठ गया। पास में ही शुद्ध, मीठा पानी का स्रोत भी फूट पड़ा है। हाल के दिनों में ग्रामीण धान, मकई और सब्जियों की खेती की तैयारी में जुट गए हैं। समय आने पर गेहूं बोने की भी तैयारी है।
कल तक काटते थे हरे पेड़, आज कर रहे खेतीबाड़ी
पहाड़ी आदिवासियों को रोजगार का साधन मिला, तो पर्यावरण संरक्षण की भी उम्मीद बढ़ गई है। कल तक हरे पेड़-पौधे काटकर रोजी-रोटी की जुगाड़ करने वाले हाथ अब खेतीबाड़ी करने में लगे हैं। पत्तल बनाने का धंधा अब जोर पकड़ रहा है, तो कंदमूल और जड़ी-बूटी जैसे जंगली उत्पादों की बिक्री कर लोग आय का साधन बढ़ाने में जुटे हैं। गांव के युवा और बच्चे चेकडैम के आसपास बांस के पौधे रोप पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं।
Comments
Add Comment