भोपाल
राजधानी में भले की कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी हो गई है, लेकिन ब्लैक फंगस का इलाज कराने वाले मरीजों की स्थिति अब भी खराब है। हालात ये हैं कि अस्पताल प्रबंधन आॅपरेशन के बाद इंजेक्शनों की कमी के कारण जल्दबाजी में मरीजों की छुट्टी करके घर भेज रहे हैं। इसके बाद मरीज घर पहुंचने के बाद फिर से संक्रमित होकर गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। शहर में ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां इंजेक्शन की कमी के कारण हमीदिया अस्पताल ने आनन-फानन में मरीज को डिस्चार्ज कर दिया।
सिवनी मालवा निवासी पूरन लोवंशी ने बताया कि उनके पिता जीपी लोवंशी इंदौर में रहते हैं। पिछले महीने कोरोना पॉजिटिव होने के कारण वहां जगह नहीं मिलने पर वे होम टाउन सिवनी मालवा आ गए। इसके बाद तबीयत खराब होने पर उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया। इसके बाद उन्हें ब्लैक फंगस का इंफेक्शन हो गया और उन्हें हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां पर उनका आॅपरेशन कर दिया गया।
इंजेक्शनों की कमी के कारण उन्हें टेबलेट देकर आनन-फानन में हमीदिया अस्पताल से 21 मई को डिस्चार्ज कर दिया गया। घर पहुंचने के बाद पूरन लोवंशी के पिता 3 जून को फिर से संक्रमित हो गए और उनकी स्थिति गंभीर हो गए। परिजन 4 जून को फिर से तुरंत हमीदिया अस्पताल वापस आए। यहां पर उन्हें भर्ती कराया गया है, अभी उनका इलाज जारी है, लेकिन हालत में ज्यादा सुधार नहीं है। परिजनों का आरोप है कि यदि पहले ही हमीदिया अस्पताल प्रबंधन उनका सही तरीके से इलाज करते और जरूरत के सभी इंजेक्शनों का डोज पूरा करते, तो उन्हें दोबारा संक्रमण नहीं होता।
कल से एम्स अस्पताल में नॉन कोविड इमरजेंसी सेवा शुरू की जा रही है। इसके चलते अब यहां ऐसे गंभीर मरीज, जिन्हें कोरोना नहीं है उन्हें भी इलाज मिल सकेगा। पिछले दो महीने से एम्स को कोविड डेडिकेटेड अस्पताल बना कर यहां पर केवल कोरोना के मरीजों का ही इलाज किया जा रहा था। एम्स अधीक्षक मनीषा श्रीवास्तव के अनुसार अस्पताल में अभी 140 कोरोना और 45ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती हैं। अब उनके साथ साथ नॉन कोविड मरीजों के लिए भी अलग वार्ड शुरू किया जाएगा।
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