रविवासरीय संगीत सभा में बनारस के डॉ. रामशंकर ने दी शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति


रायपुर
गुनरसपिया फाउंडेशन की 50वी संगीत सभा में रविवार को प्रात: 10 बजे से फेसबुक पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के डॉ. रामशंकर ने शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति दी। 20वीं सदी के महान संगीतज्ञ पंडित रामाश्रय झा रामरंग जी की गंडाबन्ध शागिर्द डॉ रामशंकर जी ने गुरु-शिष्य परंपरा में अपने गुरु से 14 साल शिक्षा ग्रहण की है,वे शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में एक प्रसिद्ध हस्ताक्षर भी हैं।

डॉ रामशंकर जी ने गायन के क्षेत्र में हजारों विद्यार्थी तैयार किए हैं। उन्होंने अपने गायन की शुरूआत राग बिलावल में विलंबित एकताल में ख्याल - मेरे मन जागो जग सपना ते, काहे सुब सोवे पांव पसारे,से की।उन्होंने इसके बाद मध्यलय ताल त्रिताल में निबद्ध छोटा ख्याल -पिहरवा काहे ना सुमिर हरि नाम,की प्रस्तुति दी,उन्होंने इसके बाद द्रुत एक ताल में निबद्ध बंदिश-कागा जा रे जा रे जा, की मनमोहक प्रस्तुति दी,अंत में उन्होंने सूरदास जी रचित प्रसिद्ध भजन-सुनेरी मैंने निर्बल के बल राम,गाकर तो श्रोताओं को मुग्ध ही कर दिया।आपके साथ तबले पर पंकज राय जी ने, हारमोनियम पर मनोहर श्रीवास्तव जी ने एवं तानपूरे पर पलाश बिश्वास व प्रणब शंकर ने सुंदर संगत की। श्रोताओं ने खूब लाईक किया और उनके कार्यक्रम में लगातार दाद दी।

अब तक गुनरस पिया की सभा में गायन,तबला-वादन,सितार-सरोद-सारंगी-संतूर वादन की प्रस्तुतियां हो चुकी हैं।युवा एवं नवोदित कलाकारों को रविवासरीय संगीत सभा के माध्यम से जन जन तक पहुचाने का कार्य संस्था द्वारा अनवरत जारी है।गुनरस पिया फाउंडेशन द्वारा कोरोना काल में देश-विदेश के कलाकारों को फेसबुक के माध्यम से कार्यक्रम प्रस्तुति हेतु अवसर दिया जा रहा है।गुनरस पिया फाउंडेशन शास्त्रीय संगीत के संरक्षण एवं प्रचार प्रसार हेतु लगातार कार्य कर रहा है। कार्यक्रम के संयोजक दीपक व्यास ने यह जानकारी दी।

The Naradmuni Desk

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