सीनियर आईएएस की डॉक्टर मैडम से दोस्ती : मंत्री का पूर्व आईपीएस की बेटी से रिश्ता : आईएएस ने फोन कर खुलवाई शराब दुकानें


सीनियर आईएएस की डॉक्टर मैडम से दोस्ती
प्रदेश के एक सीनियर आईएएस और डॉक्टर मैडम की दोस्ती की चर्चाएं हैं। आईएएस साहब की मैडम से दोस्ती तब हुई थी जब वे एक बड़े जिले के कलेक्टर हुआ करते थे। साहब की पत्नी की जब तबीयत खराब रहने लगी तो सरकारी हॉस्पिटल की डॉक्टर मैडम उन्हें देखने आई। डॉक्टर मैडम साहब की पत्नी को देख रही थी साहब मैडम को। कुछ इस तरह प्यार परवान चढ़ा। धीरे-धीरे वक्त बीतता गया। दोनों अपने काम में व्यस्त होते गए। लेकिन आजकल दोनों के बीच मुलाकातों का दौर वापस शुरू हो चुका है। आखिरकार पुराना प्यार है वापस तो आना ही था। हालांकि मैडम को चाहने वालों की लंबी फेहरिस्त है। मजेदार बात है कि मैडम की दोस्ती कभी कलेक्टर से होती है तो कभी कमिश्नर से। मैडम की नजदीकियां वैसे मौजूदा कमिश्नर से भी कम नहीं हैं।

मंत्री का पूर्व आईपीएस की बेटी से रिश्ता
कांग्रेस से भाजपा में आए रंगीन मिजाज मंत्री की दोस्ती आजकल पूर्व आईपीएस की बेटी से हो चुकी है। मंत्री जी को सुरा के साथ सुंदरी तो पसंद है ही। यदि सुंदरी को अंग्रेजी आती हो तो वो उसे प्राथमिकता देते हैं। दरअसल पूव मंत्री की बेटी एक एक एनजीओ संचालित करती हैं। इसी सिलसिले में उनका मंत्री जी से मिलना हुआ था। पहली मुलाकात में ही दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो गई थी। लेकिन अब यह दोस्ती नजदीकियों में बदलने लगी है। मैडम जो भी काम मंत्री जी को करने को कहती हैं वो मना नहीं कर पाते हैं। अब देखना होगा प्यार के साथ प्रोफेशनलिज्म कब तक चलता है।

आईएएस ने कलेक्टरों को फोन कर खुलवाई शराब दुकानें
कोरोना की दूसरी लहर के बाद अनलॉक की कार्रवाई शुरू हुई तो सबसे बड़ी मुश्किल थी शराब दुकानों को खुलवाना। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बिल्कुल पक्ष में नहीं थे कि पहले दौर में शराब दुकानों को खुलवाया जाए। इसी वजह से अनलॉक करने को लेकर जो गाइडलाइन जारी की गई उसमें शराब दुकानों का कोई जिक्र नहीं किया गया। इसकी वजह थी कि विपक्ष के लिए यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। लेकिन प्रशासनिक अधिकारी चाहते थे कि प्रदेश की राजस्व आय का मुख्य स्त्रोत शराब दुकानों को हर हाल में खुलवाया जाए। ऐसे में एक सीनियर आईएएस अधिकारी ने एक नया रास्ता निकाला। उन्होंने हर जिले के कलेक्टर को खुद फोन कर शराब दुकान खुलवाने के निर्देश दिए। जबकि यह अधिकारी के विभाग का शराब दुकानों से कोई वास्ता ही नहीं था। बताया जाता है कि शराब दुकानों को खुलवाने के एवज में ठेकेदारों से बड़ा खेल किया है। इसके बाद ही साहब ने सारे कलेक्टरों को खुद फोन किया है।

कलेक्टर साहब अपने ठेकेदार से कराएंगे काम
एक संस्कारवान कर्म वाले कलेक्टर आपदा को अवसर बनाने में कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। साहब विधायक और सांसद निधि से होने वाले कामों में तो विभाग प्रमुखों समेत इंजीनियरों से कमीशन लेते आ ही रहे थे। अब साहब कहीं से खुद के ठेकेदार भी तलाश कर ले आए हैं। कलेक्टर साहब ने विभाग प्रमुखों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कोई भी काम अब यही ठेकेदार करेंगे। साथ ही उन्हें कमीशन भी पहले की तरह ही चाहिए। उसमें कोई कमी नहीं होना चाहिए। साहब के ठेकेदार होने से विभाग प्रमुख खुद का कमीशन तो छोड़ दे रहे हैं लेकिन उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि साहब को कमीशन कहां से लाकर दें। 

छिंदवाड़ा मॉडल का तोड़ खंडवा मॉडल
कोरोना की दूसरी लहर में जिस तरह छिंदवाड़ा जिले में काम हुआ उसकी तारीफ खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर आला अधिकारियों ने की। हर बैठक में छिंदवाड़ा मॉडल की तारीफ होने लगी। लेकिन इसी बीच इस मॉडल का श्रेय जब इस छिंदवाड़ा सांसद कमलनाथ ने लेना शुरू किया तो सरकार ने छिंदवाड़ा की तारीफ कम कर अन्य जिलों हुए कामों की समीक्षा की गई। समीक्षा के आधार पर पाया गया है कि छिंदवाड़ा से बेहतर किसी जिले में काम हुआ है तो वो है खंडवा जिला। यहां पर पॉजिटिविटी रेट सिर्फ एक प्रतिशत था। साथ ही जब पूरा प्रदेश ऑक्सीजन कमी से जूझ रहा था तब खंडवा जिले में कोटे से भी कम ऑक्सीजन ली गई। अब जैसे ही कोई कांग्रेसी नेता छिंदवाड़ा मॉडल को आर्दश बताता है भाजपा नेता खंडवा मॉडल की तारीफ शुरू कर देते हैं। वैसे खंडवा और छिंदवाड़ा जिले में एक समानता भी है। वो यह है कि दोनों ही जिले महाराष्ट्र की सीमा से लगे हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि महाराष्ट्र के जरिए ही प्रदेश में कोरोना ने एंट्री ली थी।

आखिर क्यों नहीं मिल पा रहा है डीआईजी का पद
सोशल मीडिया पर छाए रहने वाले एक आईपीएस अधिकारी का प्रमोशन हुए लंबा वक्त बीत चुका है। उनके बैचमैट को अच्छी पोस्टिंग भले ही नहीं मिली हो लेकिन पद के अनुरूप पोस्टिंग मिल चुकी है। साहब को भी प्रमोशन तो दे दिया गया है लेकिन अब भी उनके पद पर पोस्टिंग नहीं दी गई है। जबकि एक समय था जब प्रमोशन से पहले ही साहब का नाम भोपाल डीआईजी की दौड़ में पहले नंबर पर शामिल था। इसके लिए संघ ने भी इशारा कर दिया था। लेकिन प्रमोशन के बाद से साहब की पूछपरख करने वाला कोई नहीं बचा है। साहब को भोपाल से बहुत दूर पदस्थ कर रखा है। अब देखना होगा साहब का बुरा दौर कब वक्त कब बीतता है और कब साहब को मन चाही पोस्टिंग मिलती है।
  
सुनील पांडे बने डीजीपी के स्टाफ अफसर
शराब और रेत माफियाओं के दबाव के बाद मुरैना से पुलिस अधीक्षक पद से हटाए सुनील पांडे को नई पोस्टिंग दे दी गई है। बेहद ईमानदार छवि वाले पुलिस अधिकारी माने जाने वाले पांडे को डीजीपी विवेक जौहरी ने अपना स्टाफ अधिकारी नियुक्त कर दिया है। वैसे भी प्रदेश के सीनियर अधिकारी से लेकर सरकार तक पांडे की ईमानदार छवि की मुरीद है। ऐसे में माना जा रहा था कि पांडे भले ही मुरैना से हटा दिए गए हों लेकिन उन्हें कोई अच्छी पोस्टिंग मिल जाएगी। इसके बाद डीजीपी जौहरी ने अपनी टीम में शामिल किया है।

पांच मंत्रियों के पचास करोड़ कमाने की मंशा पर फिरा पानी
प्रदेश के पांच मंत्रियों के अरमानों को बड़ा झटका लगा है। यह मंत्री मिलकर पचास करोड़ कमाने की मंशा रख रहे थे लेकिन सरकार ने इनके अरमानों पर पानी फेर दिया है। दरअसल प्रदेश के एक कद्दावर मंत्री को वेयर हाउस से गेंहू खरीदने वाले व्यापारी ने ऑफर दिया था कि यदि वो उसे कम दाम पर गेंहू दिलवा देते हैं तो वो पचास करोड़ रुपये तक की व्यवस्था कर देगा। मंत्री जी को पता था कि सरकार उनकी मंशा पूरी नहीं होने देगी। ऐसे में उन्होंने अपने साथ पांच चार और मंत्रियों को जोड़ा। साथ ही कमीशन की रकम का बराबर हिस्सा करने का आफर दिया। सभी मंत्री तैयार हो गए। सबने मिलकर मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा। लेकिन मुख्यमंत्री ने इन पांचों मंत्रियों से मिलने से ही मना कर दिया है। ऐसे में इन मंत्रियों के अरमानों पर पानी फिर गया है।

महिला मित्र से परेशान नेता जी
सत्ताधारी पार्टी के प्रमुख नेता जी आजकल बेहद परेशान और डर हुए चल रहे हैं। सोशल मीडिया पर चल रही उनकी फोटो में उनके चेहरे पर यह डर देखने को भी मिल रहा है। डर की वजह है नेता जी की एक पुरानी दोस्त और नेत्री जो आजकल उनके बंगले पर पहुंचने लग गई है। इस नेत्री की वजह से नेता जी और उनकी पत्नी में कई बार विवाद भी हो चुका है। वैसे तो यह नेता जी सरकार का मुखिया बनने के सपने देख रहे थे। लेकिन यह नेत्री ने नेता जी के सपने पर न सिर्फ पानी फेर दिया है बल्कि उनकी मौजूदा कुर्सी भी संकट में ला दी है। अब यह नेता जी ने नेत्री को खुद से दूर करने के लिए उसे राष्ट्रीय मोर्चा की कार्यकारिणी लेने की सिफारिश कर दी है। अब देखना होगा कि नेता की सिफारिश को दिल्ली में कितनी तवज्जों मिल पाती है।


Abhishek Dubey

Abhishek Dubey

A journalist with more than 15 years of experience in investigative reporting