इंदौर
गांव की स्थिति बदलने को लेकर शैक्षणिक संस्थानों ने सालभर में कितना विकास किया है। इसके बारे में उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेशभर के कालेज और विश्वविद्यालयों से तीन दिन में रिपोर्ट मांगी है। यहां तक गांवों को आर्थिक रूप से मजबूर करने के लिए व्यवसाय और रोजगार की दिशा में किए कार्यों के बारे में भी बताना है। विभाग ने चिकित्सा क्षेत्र को बेहतर बनाने को लेकर प्लान भी मांगा है। रिपोर्ट मिलने के बाद मुख्यालय में बैठे वरिष्ठ अधिकारी समीक्षा करेंगे। उसके आधार पर शासन को गांवों की स्थिति से अवगत कराया जाएगा।
बीते दो साल से संस्थानों ने गांव गोद ले रखे है। आर्थिक रूप से मजबूत करते हुए संस्थान को नए रोजगार बताने के अलावा ग्रामीणों को ट्रैनिंग देना है। ताकि व्यवसाय के नए अवसर शुरू हो सके। यहां तक ग्रामीणों इलाकों में बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करना था। इसके लिए उन्हें शिक्षा का महत्व समझाने को बोला था, जिसमें कालेज के विद्यार्थियों की भी मदद ले सकते है। शासन ने गांवों में चिकित्सा क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए रिपोर्ट देना है। ताकि छोटे-छोटे गांवों में भी स्वास्थ्य केंद्र शुरू हो सके।
यहां तक शासन ने इस बार संस्थानों को टीकाकरण के लिए भी ग्रामीणों को जागरूक करने के निर्देश दिए है। इसे टीकाकरण का प्रतिशत बढ़ सके और ज्यादा से ज्यादा लोगों को संक्रमण से सुरक्षित किया जा सके। अतिरिक्त संचालक डा. सुरेश सिलावट का कहना है कि कालेज और विवि को गोद लिए गए गांव की स्थिति से अवगत करना है। इसकी सालभर की रिपोर्ट शासन ने मांगी है।
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