भारतीय परम्पराओं का विशेष योगदान है पर्यावरण के संरक्षण में


भोपाल

विश्व पर्यावरण दिवस पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने अपने निवास पर अशोक का पौधा रौपा। उन्होंने कहा कि भारत के सांस्कृतिक धरातल पर पर्यावरण का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। पर्यावरण के संरक्षण में प्राचीन भारतीय परम्पराओं का विशेष योगदान है। हमारे मनीषियों ने प्रकृति की समग्र शक्तियों को जीवन दायिनी स्वीकार करते हुए उन्हें देवत्व का स्थान प्रदान किया है।

सारंग ने कहा कि धरती को मातृवत् मानकर जल, हवा, नदियां, पर्वत, वृक्ष और जलाशयों को पूज्यनीय मानकर उनकी सुरक्षा एवं संरक्षण की व्यवस्था की गई। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार जो फल मनुष्य को भू-दान और गौ-दान से प्राप्त होता है, वही फल एक पौधा लगाने से भी प्राप्त होता है।  वेदों का संदेश हैं कि मानव शुद्ध वायु में श्वास ले, शुद्ध जलपान करे, शुद्ध अन्न-फल ग्रहण करे, शुद्ध मिट्टी में खेले-कूदें और खेती करे, तब ही वेद प्रतिपादित उसकी आयु ‘‘शं जीवेम् शरदः शतम्’’ हो सकती है।

मंत्री सारंग ने कहा कि वृक्ष हमारी संस्कृति की धरोहर हैं। इसीलिए अनेक वृक्ष एवं पौधे देवता के रूप में पूज्य माने जाते हैं। तुलसी को विष्णुप्रिया माना गया हैं। विष्णु पुराण में सौ पुत्रों की प्राप्ति से बढ़कर एक वृक्ष लगाना माना गया है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को हर वर्ष कम से कम एक वृक्ष जरूर लगाना चाहिए।

सारंग ने अशोक वृक्ष के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अशोक का पेड़ घर में नेगेटिव एनर्जी को खत्म करता है। शास्त्रों में पीपल, बरगद के बाद अशोक के पेड़ को काफी महत्वपूर्ण माना गया है। उन्होंने कहा कि जैसा कि अशोक शब्द से स्पष्ट होता है कि किसी प्रकार का शोक न होना। कहा जाता है कि जिस घर में अशोक का पेड़ लगा होता है वहाँ किसी भी प्रकार का शोक नहीं होता है। इस पेड़ को घर में लगाने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। उन्होंने कहा कि अशोक के पेड़ की छाल से लेकर पत्ते, जड़ और फूल सब औषधीय गुण से भरपूर होते हैं। इनसे अनेक औषधियों का निर्माण किया जाता है।

The Naradmuni Desk

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