आज़ाद भारत की यह कैसी तस्वीर...!


बैतूल। देश को आजाद हुए लगभग 75 वर्ष बीत चुके है और संपूर्ण देशवासी ने गणतंत्र दिवस भी धूमधाम से मनाया। इस दौरान भारत देश सहित देश वासियों ने काफी तरक्की की और वर्तमान परिवेश में लोग डिजिटल युग में जी रहे है। लेकिन यह सुनकर और पढ़कर बेहद आश्चर्य होगा कि भीमपुर विकासखंड की ग्राम पंचायत कस्मारखंडी के अंतर्गत आने वाले जड़िया गांव के ग्रामीण आज भी नाले के किनारे झिरिया खोदकर निकला हुआ पानी उपयोग करने पर मजबूर है। ऐसा नही है कि इस गांव के रहने वाले लोगो को पानी की सुविधा देने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों ने प्रयास नही किए लेकिन इसे प्रकृति की मार कहे या फिर ग्रामीणों की बद किस्मती शासन स्तर पर जनवरी-फरवरी में ही पानी एक-एक बूंद को तरस रहे है। जड़िया गांव के बाशिंदों को रोजाना दूर गांवों से 2 से 3 किमी का सफर तय कर पानी ला रहा है और कुछ समाज सेवी खेत मालिकों के कुंए और नलकूप के जरिए अपनी जरूरतों को पूरा करना पड़ रहा है। हालात यह है कि ग्रामीणों का पूरा दिन पानी की व्यवस्था करने में गुजर जाता है और लोगो की दैनिक दिनचर्या के जरूरी काम भी प्रभावित होते है लेकिन अब यह परेशानी ग्रामीणों के लिए नियति बन चुकी है।

150 घरों की बस्ती, रह रहे हैं आठ सौ लोग
लगभग 150 घरों की बस्ती में 800 लोग निवास कर रहे है और हर परिवार के साथ पानी की समस्या बनी हुई है। गांव के भूतपूर्व प्रधान लखन परसाई बताते है कि गांव में पानी की समस्या पिछले कई वर्षो से झेलनी पड़ रही है। सबसे ज्यादा दिक्कत गर्मी के दिनों में उठाना पड़ता है। जिन किसानों के  खेतों से साल भर पानी मिल जाता है वही गर्मी के दिनों में इन किसानों के खेतों में उपलब्ध ट्यूबवेल और कुंए भी सूख जाने के बाद ग्रामीणों को पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसना पड़ता है। परसाई का कहना है कि ठंड और बारिश के दिनों में भी पानी कीदिक्कते कम नही रहती है लेकिन गर्मी के दिन बमुश्किल कांटने पड़ते है। झिरिया बनाकर निकालते है गंदा पानी गांव की महिला देवरी बाई, रामकली, चिंताराम और मनसू यादव का कहना है कि तत्काल जरूरत के लिए ग्रामीणों ने गांव के समीप ही बने नाले के किनारे छोटी-छोटी झिरिया बना रखी है और सुबह होते ही गांव के लोग नाले में बनी झिरिया से गंदा पानी लेकर घर आते है और इस पानी का उपयोग अन्य कार्यो के लिए किया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि जड़िया गांव से ही लगभग 3 से 4 किमी की दूरी पर लगे सांगवानी, महुढाना में कुछ किसान ऐसे भी है जो ग्रामीणों को पीने के पानी की सुविधा दे रहे है। लेकिन ग्रामीणों को लंबी दूरी तय कर पेयजल लाना पड़ता है। हालात यह है कि पानी की कमी से जूझ रहे ग्रामीणों को स्नान भी 2 से 3 दिन के अंतराल में करना पड़ता है। ऐसा नही है कि ग्रामीणों की समस्या का समाधान करने की शासन-प्रशासन ने कोशिश नही की। पीएचई विभाग के एसडीओ यूके चौधरी ने बताया कि कस्मारखंडी पंचायत के अंतर्गत आने वाला जड़िया गांव थोड़ी ऊंचाई पर बसा हुआ है। पूर्व में ग्रामीणों की समस्या का देखते हुए पिछले वर्ष जून माह में 2 नलकूप भी खुदवाए गए थे लेकिन दोनो बोर सूखे चले गए और पानी की एक बंूद तक नही मिल पाई। यही वजह है कि ग्रामीणों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। हालाकि इसके बावजूद प्रशासनिक स्तर पर ग्रामीणों की समस्या का समाधान करने के प्रयास किए जा रहे है। 
Pusphendra Vaidya

Pusphendra Vaidya

Journalist with over 20 years of experience in investigative reporting. Worked with various national media houses like Aaj Tak & India TV besides working on documentaries and film productions.