गोरखपुर
अब उत्तर प्रदेश में वृक्ष विकास कार्यो के लिए कुर्बान नहीं होंगे। सरकारी या निजी क्षेत्र, विकास कार्यो बांधा बनने वाले वृक्षों को अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए ट्रांसप्लांट किया जाएगा। उन्हें काटे जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उत्तर प्रदेश के सरकार के प्रमुख सचिव आशीष तिवारी ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मुख्य वन्य संरक्षक नोडल अधिकारी अनुपम गुप्ता को शुक्रवार को जारी शासनादेश से अवगत कराया। इस शासनादेश में कहा गया है कि वन संरक्षण अधिनियम 1980 की धारा 2 के अंतर्गत गैरवानिकी प्रयोग के लिए भारत सरकार और राज्य सरकार को वृह्द संख्या में वृक्षों की कटाई के लिए प्रस्ताव भेज स्वीकृति मांगी जाती है। लेकिन इस प्रस्ताव में सभी वृक्षों के प्रत्यारोपण (इंटायर ट्री ट्रांसप्लांटेशन-ईटीटी) की शर्त शामिल नहीं की जाती है।
सरकार ने अब निर्णय लिया है कि वन संरक्षण अधिनियम 1980 की धारा 02 के अधीन गैरवानिकी प्रयोग संबंधी प्रस्ताव में सभी वृक्षों के प्रत्यारोपण की शर्त (ईटीटी) को प्रस्ताव में शामिल किया जाएगा। यानी शुक्रवार से ही वन भूमि पर गैरवानिकी विकास कार्यो के लिए जो भी प्रस्ताव होंगे, उनमें वृक्षों को काटने की अनुमति नहीं मिलेगी। बल्कि सरकारी या निजी एजेंसी को लिखित रूप से देना होगा वह उस जमीन के सभी वृक्षों को ट्रांसप्लांट करेंगे। प्रभागीय वन अधिकारी डॉ अविनाश कुमार बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हेरिटेज वृक्षों के संरक्षण के साथ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ट्री ट्रांसप्लांटेशन का निर्णय लेकर अनुकरणीय कदम उठाया है। इसका सख्ती से अनुपालन कराया जाएगा। वन एवं पर्यावरण के क्षेत्र में संक्रिय हेरिटेज फाउंडेशन के ट्रस्टी नरेंद्र कुमार मिश्र एवं रंजीता पाण्डेय ने इस कदम की सराहना की है।
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