आज की तकनीकी दुनिया ने बहुत तरक्की कर ली है और इसी का नतीजा है कि अब बिना सर्जरी और चीर-फाड़ के शरीर के अंगों का आसानी से रिप्लेसमेंट किया जा सकता है। एक ऐसी ही तकनीक है 'एमआईएसÓ यानी मिनिमली इनवैसिव सर्जरी। इस सर्जरी से मरीज को कई फायदे हो सकते हैं। आमतौर पर मरीज ऑपरेशन इसलिए नहीं करवाते क्योंकि इसमें बहुत दर्द होता है लेकिन एमआईएस तकनीक के जरिये दर्द का पता भी नहीं चलता।
इन बीमारियों में उपयोगी
अभी तक एमआईएस तकनीक के जरिये स्पाइन, हिप्स और घुटनों का रिप्लेसमेंट ही संभव हो पाया है। साथ ही खेल-कूद के दौरान होने वाली इंजरी को भी एमआईएस तकनीक के जरिए ठीक किया जा सकता है।
तकनीक के फायदे
एमआईएस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा है कि सुबह अस्पताल में दाखिल होकर शाम तक मरीज घर आ सकता है। एमआईएस तकनीक से इलाज करवाने पर ऑपरेशन के बजट से 30 से 40 फीसदी कम खर्चा आता है। ऑपरेशन में जहां आमतौर पर कई सारे पेनकिलर्स लेने पड़ते हैं इस तकनीक के इस्तेमाल से हुए इलाज से पेनकिलर्स की संख्या को भी कम किया जा सकता है। यानी मरीज को बहुत ही कम दवा लेनी होती है।
सर्जरी का लेटेस्ट वर्जन
यह सर्जरी का लेटेस्ट वर्जन है। बेशक यह बहुत पॉपुलर नहीं है लेकिन ऐसा अनुमान है कि आने वाले समय में यह काफी पॉपुलर हो सकता है। ऑपरेशन में जहां मसल्स काटकर उनमें बाद में टांके लगाए जाते हैं इस तकनीक में कोई चीर-फाड़ नहीं होती और न ही खून बहता है। मरीजों को इस तकनीक से इलाज करवाने पर हीलिंग भी जल्दी हो जाती है और पहले ही दिन मरीज चल-फिर सकता है। साथ ही इसके साइड इफेक्ट्ल भी बहुत कम होते हैं।
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